देहरादून: किसी भी राज्य या क्षेत्र के इंफ्रास्ट्रक्चर डेवलपमेंट में श्रमिकों की एक अहम भूमिका होती है. क्योंकि ये श्रमिक दिन रात मेहनत कर विकास कार्यों को अंजाम तक पहुंचाते हैं. यही नहीं इन श्रमिकों की ना सिर्फ इंफ्रास्ट्रक्चर डेवलपमेंट में अहम भूमिका है, बल्कि छोटी से बड़ी इंडस्ट्री से लेकर तमाम कामों में श्रमिक अपनी एक अहम भूमिका अदा करते हैं.
वहीं, इन दिनों वैश्विक महामारी से बचाव को लेकर लागू लॉकडाउन के चलते श्रमिक अपने घर को लगातार रवाना हो रहे हैं. जिसका सीधा असर अब इंफ्रास्ट्रक्चर डेवलपमेंट के साथ ही उद्योगों पर पड़ता दिखाई दे रहा है. आखिर क्या है श्रमिकों की मौजूदा स्थिति? देखिए ईटीवी भारत की इस स्पेशल रिपोर्ट में...
उत्तराखंड राज्य में संगठित और असंगठित क्षेत्रों में करीब 6 लाख से अधिक श्रमिक काम करते हैं. जिसमें से अकेले असंगठित क्षेत्रों में करीब 4 लाख श्रमिक कार्यरत हैं. हालांकि, यह सभी श्रमिक ज्यादातर उत्तरप्रदेश और बिहार से ताल्लुक रखते हैं, जो उत्तराखंड की विकास में अपनी अहम भूमिका निभा रहे हैं.
करीब 70 फीसदी श्रमिक घर को हो चुके हैं रवाना
लॉकडाउन के दौरान अपने परिवारों की चिंता और काम ना मिलने के चलते पहले ही हजारों की संख्या में श्रमिक अपने घर को रवाना हो चुके हैं. वहीं अब भी लगातार मजदूरों के घर वापसी का सिलसिला जारी है. मिली जानकारी के अनुसार करीब 70 फीसदी मजदूर अपने घर को रवाना हो गए हैं.
विकास के कार्य हो रहे हैं प्रभावित
उत्तराखंड राज्य में इन दिनों कई बड़ी योजनाएं पाइप लाइन में हैं. हालांकि, लॉकडाउन की वजह से इन योजनाओं का कार्य नहीं हो पा रहा था, लेकिन अब केंद्र सरकार की गाइडलाइन के बाद विकास के तमाम कामों को करने की अनुमति मिल गई है. जिसमें मुख्य रूप से एनएच, स्मार्ट सिटी प्रोजेक्ट के साथ ही हरिद्वार में होने वाले महाकुंभ से जुड़े काम चल रहे हैं. वहीं ये काम भी कम मजदूरों के चलते कछुए की गति से हो रहे हैं.