देहरादून: पलायन आयोग ने हाल ही में चमोली जिले में हुए पलायन की अध्ययन रिपोर्ट मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र रावत को सौंपी थी. ग्रीष्मकालीन राजधानी और बदरीनाथ धाम की मौजूदगी भी चमोली जिले को पलायन की मार से नहीं बचा पाई है. इस रिपोर्ट के मुताबिक, बीते 10 सालों में चमोली से 32,020 लोगों ने अस्थाई और 14,289 लोगों ने स्थाई रूप से पलायन किया है. पलायन के इस आंकड़ें पर एक बार फिर से कांग्रेस न त्रिवेंद्र सरकार पर निशाना साधा है. उन्होंने कहा प्रवासियों को रोकने के लिए सरकार की रणनीति केवल कागजों तक ही सीमित है, धरातल से इसका कोई लेना देना है.
कांग्रेस प्रदेश महामंत्री एसपी अग्रवाल का कहना है कि प्रदेश के पहाड़ी जिलों में पलायन की स्थिति पहले बेहद खराब थी, मगर अब कोरोना के बाद कई प्रवासियों की घर वापसी हुई है. ऐसे में राज्य सरकार के पास एक अच्छा मौका है कि प्रवासियों के लिए याजनाएं, सुविधाएं देकर उन्हें राज्य में रोक सकती है.
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