देहरादून: उत्तराखंड को-ऑपरेटिव बैंक (Uttarakhand Cooperative Bank) के अंतर्गत हुई नियुक्ति मामले पर विभागीय मंत्री धन सिंह रावत सवालों के घेरे में हैं. दरअसल 5 महीने पहले चतुर्थ श्रेणी नियुक्ति मामले में जांच के आदेश दिए गए थे, लेकिन आज तक किसी भी जिले की रिपोर्ट सार्वजनिक नहीं हुई है. उधर सहकारिता मंत्री धन सिंह रावत (Cooperation Minister Dhan Singh Rawat) ने जिस तरह इस मामले पर बचाव करना शुरू किया है, उसने नियुक्ति की हुई जांच पर सरकार की भूमिका को संदेह में ला दिया है. सहकारिता मंत्री धन सिंह रावत अपने बयान को लेकर खुद कांग्रेस के निशाने पर आ गए हैं और नियुक्ति में गड़बड़ी के आरोप को झेल रहे हैं.
सहकारी बैंक नियुक्ति मामले में जांच रिपोर्ट नहीं आई: उत्तराखंड अधीनस्थ सेवा चयन आयोग पेपर लीक मामले (Uttarakhand Subordinate Service Selection Commission Paper Leak Cases) में अब तक 19 गिरफ्तारियां हो चुकी हैं. लेकिन सहकारिता विभाग (cooperative Department) में पिछले 5 महीनों से अब तक जांच भी पूरी नहीं हो पाई है. खास बात यह है कि अब सहकारिता के तहत को-ऑपरेटिव बैंकों में हुई भर्ती की जांच पर लीपापोती के आरोप लगे हैं. आपको बता दें कि अप्रैल महीने में को-ऑपरेटिव बैंकों में भर्ती प्रक्रिया रोक कर इसकी जांच के लिए 3 सदस्यीय कमेटी का गठन किया गया था.
नियुक्ति में भाई भतीजावाद का लगा आरोप: भाजपा सरकार में हुई नियुक्ति (Appointment in BJP government) में इसी सरकार ने जांच के आदेश दिए तो माना गया कि शायद नियुक्ति को लेकर सरकार की मंशा साफ है. आशंका यह थी कि जिला को-ऑपरेटिव बैंकों में सफेदपोश और अधिकारियों द्वारा भाई भतीजावाद अपनाया गया है. साथ ही देहरादून, पिथौरागढ़ सहित नैनीताल जिले में नियुक्तियों में भारी अनियमितताएं भी हुई है.
2020 में हुई थी नियुक्ति: इसमें दिसंबर 2020 में 423 पदों पर भर्ती प्रक्रिया (Recruitment process for 423 posts) की गई थी, लेकिन भर्ती प्रक्रिया शुरू होते ही इस में गड़बड़ियों के कई मामले सामने आने लगे. बड़ी बात यह है कि जांच के आदेश विभागीय मंत्री की तरफ से दिए गए, लेकिन इसके बावजूद विभागीय मंत्री ही खुद इस नियुक्ति को लेकर आरोपों में घिरते हुए दिखाई दिए.