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कांग्रेस ने स्टेशन का संस्कृत में नाम लिखने का किया समर्थन, सरकार की मंशा पर उठाए सवाल

रेलवे बोर्ड ने उत्तराखंड के सभी स्टेशनों के नाम उर्दू की जगह संस्कृत में लिखने का फैसला किया है, लेकिन कांग्रेस पार्टी का मानना है कि सरकार का यह कदम मूल मुद्दों से ध्यान भटकाने की कोशिश है.

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कांग्रेस ने साधा निशाना

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Published : Jan 21, 2020, 1:32 PM IST

Updated : Jan 21, 2020, 1:46 PM IST

देहरादून:रेलवे बोर्ड ने उत्तराखंड में आने वाले सभी स्टेशनों के नाम उर्दू की जगह संस्कृत में लिखने का फैसला किया है. पहले प्लेटफार्म पर रेलवे स्टेशन का नाम हिंदी, अंग्रेजी और उर्दू में लिखा होता था, लेकिन अब नए फैसले के बाद हिंदी, अंग्रेजी और संस्कृत में ये नाम लिखे जाएंगे. वहीं कांग्रेस ने सरकार के इस फैसले को मूल मुद्दों से ध्यान हटाने की कोशिश बताया है.

बदरीनाथ केदारनाथ मंदिर समिति के पूर्व अध्यक्ष और कांग्रेस नेता गणेश गोदियाल ने कहा कि कांग्रेस रेलवे स्टेशनों पर संस्कृत में नाम लिखे जाने का समर्थन करती है, क्योंकि संस्कृत भाषा देश की पौराणिक देवभाषा और सम्मानजनक भाषा है, लेकिन सरकार की मंशा पर सवाल उठाते हुए गोदियाल ने कहा कि जब देश के युवा रोजगार की मांग कर रहे हैं तो सरकार उनसे ये कहेगी कि रेलवे स्टेशनों पर बोर्ड संस्कृत में लिख दिए गए हैं.

उत्तराखंड रेलवे स्टेशन

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किसी भी भाषा में रेलवे स्टेशनों का नाम लिखने से किसी का पेट नहीं भरेगा. लोगों को रोजगार, देश की तरक्की, और महंगाई से छुटकारा चाहिए. क्योंकि ये देश के सामने मूल मुद्दे हैं. सरकार को इन मुद्दों पर ध्यान देना चाहिए. संस्कृत भाषा में साइन बोर्डों पर नाम लिखने का कांग्रेस समर्थन करती है. मगर सरकार की ये कोशिश लोगों का ध्यान मूल मुद्दों से भटकाने की दिखाई दे रही है.

Last Updated : Jan 21, 2020, 1:46 PM IST

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