देहरादून: साल 2022 में होने वाले विधानसभा चुनाव के मद्देनजर सभी राजनीतिक पार्टियां तैयारियों में जुटी हुई हैं. वहीं, दूसरी ओर कांग्रेस के भीतर इस समय एक नया ही विवाद चल रहा है. पार्टी के ही कुछ वरिष्ठ नेता साल 2017 के विधानसभा चुनाव में हुई हार की समीक्षा करने पर जोर दे रहे हैं. जिससे पार्टी की कमियों को परखकर उन्हें दूर किया जाए. कांग्रेस के भीतर हार की समीक्षा करने की मांग ऐसे वक्त में उठी है, जब विधानसभा चुनाव सिर पर हैं. ऐसे में ये समझना जरूरी है कि इस समय कांग्रेस में समीक्षा पर जोर दिया जाए या फिर भाजपा के खिलाफ चुनावी रणनीति बनाई जाए?
साल 2017 में हुए विधानसभा चुनाव के दौरान उत्तराखंड राज्य के इतिहास में ऐसा पहली बार हुआ जब किसी एक पार्टी को भारी बहुमत प्राप्त हुआ हो. साल 2017 में हुए विधानसभा चुनाव के दौरान भाजपा एक तरफा जीत हासिल कर सत्ता पर काबिज हुई. वहीं इसके उलट मुख्य विपक्षी दल कांग्रेस मात्र 11 सीटों पर ही सिमटकर रह गई थी. यही नहीं, तत्कालीन मुख्यमंत्री हरीश रावत भी 2-2 विधानसभा सीटों से चुनाव हार गए थे. आखिर 2017 के चुनाव में कांग्रेस की ऐसी दुर्दशा क्यों हुई थी? इसको लेकर कांग्रेस के तत्कालीन प्रदेश अध्यक्ष किशोर उपाध्याय समेत कई नेता समय-समय पर विश्लेषण करने की बात कहते रहते हैं.
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इसी क्रम में एक बार फिर तत्कालीन प्रदेश अध्यक्ष एवं वरिष्ठ नेता किशोर उपाध्याय ने हाल ही में साल 2017 में हुए विधानसभा चुनाव का जिक्र करते हुए चुनाव में हुई हार का विश्लेषण करने की बात कही है. ताकि इस बात का पता लगाया जा सके कि आखिर साल 2017 में कांग्रेस कि इतनी बुरी तरीके से क्यों हारी. पूर्व प्रदेश अध्यक्ष किशोर उपाध्याय के इस बयान के बाद राजनीतिक गलियारों में चर्चाओं का बाजार गर्म हो गया है.
पूर्व प्रदेश अध्यक्ष एवं नेता प्रतिपक्ष प्रीतम सिंह भी किशोर उपाध्याय के बयान के समर्थन में आ गए हैं. वो भी इस बात पर जोर दे रहे हैं कि 2017 में हुई हार का समीक्षा की जानी चाहिए. उन्हें उम्मीद है कि जल्द ही आलाकमान भी इस पर कोई ठोस निर्णय लेगा.
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हार की समीक्षा के समर्थन में प्रीतम सिंह:नेता प्रतिपक्ष एवं पूर्व प्रदेश अध्यक्ष प्रीतम सिंह ने कहा पूर्व प्रदेश अध्यक्ष किशोर उपाध्याय कांग्रेस के वरिष्ठ नेता हैं. साल 2017 में हुए विधानसभा चुनाव के दौरान किशोर उपाध्याय, प्रदेश अध्यक्ष थे. लिहाजा, सारी जिम्मेदारी उनके कंधों पर थी. ऐसे में साल 2017 में जो परिणाम आए उससे किशोर उपाध्याय आहत हैं.
जिसके चलते किशोर उपाध्याय ने इस बात का जिक्र किया है कि साल 2017 में हुई करारी हार की समीक्षा होनी चाहिए. साथ ही नेता प्रतिपक्ष प्रीतम सिंह ने किशोर उपाध्याय के बयान का समर्थन करते हुए कहा कि उन्हें लगता है कि राष्ट्रीय नेतृत्व 2017 में हुई हार की समीक्षा कराने का काम करेगा.
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हरीश रावत पर तान रहे निशाना:जानकारों की माने तो कांग्रेस के भीतर मौजूद गुटबाजी नेताओं के बयानबाजी से साफ झलक रही है. साल 2017 में कांग्रेस की दुर्दशा की एक मुख्य वजह हरीश रावत को माना जा रहा है. ऐसे में हरीश रावत पर तंज कसने और आगामी विधानसभा चुनाव से हरीश रावत को दूर रखने के लिए ही कांग्रेस के अन्य गुटों के नेता 2017 में हुई करारी हार का विश्लेषण कराना चाहते हैं.