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तीलू रौतेली पुरस्कार के चयन पर कांग्रेस ने उठाए सवाल, बीजेपी पर लगाए गंभीर आरोप

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Published : Aug 16, 2021, 9:34 AM IST

तीलू रौतेली पुरस्कार को लेकर कांग्रेस लगातार भाजपा सरकार पर निशाना साध रही है. कांग्रेस का आरोप है कि राज्य सरकार ने इस बार तीलू रौतेली पुरस्कारों के लिए जिन महिलाओं का नाम चयन किया है, उनमें से अधिकांश भाजपा नेताओं की रिश्तेदार हैं.

तीलू रौतेली पुरस्कार
तीलू रौतेली पुरस्कार

देहरादून:तीलू रौतेली पुरस्कार को लेकर कांग्रेस लगातार भाजपा पर हमलावर हो रही है. कांग्रेस का आरोप है कि राज्य सरकार ने इस बार तीलू रौतेली पुरस्कारों के लिए जिन महिलाओं का नाम चयन किया उनमें से अधिकांश भाजपा नेताओं की रिश्तेदार या फिर राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (Rashtriya Swayamsevak Sangh) की कार्यकर्ता हैं.

इसी मामले को लेकर नेता प्रतिपक्ष प्रीतम सिंह ने अपने आवास पर वीरांगना तीलू रौतेली के नाम से पुरस्कार वितरण में की गई व्यापक धांधली पर कटाक्ष करती म्यूजिक एल्बम 'तीलू रौतेली-त्वेसी माफी मांगदा'का विमोचन किया. इस मौके पर उन्होंने कहा कि प्रदेश की भाजपा सरकार ने पुरस्कार वितरण में धांधली करते हुए भाजपा से जुड़ी 10 से अधिक महिलाओं को शामिल कर वीरबाला तीलू रौतेली का अपमान किया है. इसके साथ उन सभी महिलाओं का अपमान किया है जो अपनी निजी संसाधनों से लगातार उत्तराखंड और पहाड़ के मानवीय सामाजिक व महिला उत्थान के कार्यों में जुड़ी हुई हैं.

बता दें कि इस म्यूजिक एल्बम में गीतकार और गायक कमल जोशी और संगीत प्रवीण कुमार ने दिया है. इसमें तीलू रौतेली पुरस्कार चयन में की गई बंदरबांट को प्रमुखता से रखा गया है कि कैसे वर्तमान सरकार ने अपने चहेतों को लाभ देने के लिए तीलू रौतेली पुरस्कार चयन में व्यापक धांधली की है.

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कौन थी तीलू रौतेली:चौंदकोट गढ़वाल के गोर्ला रौत थोकदार और गढ़वाल रियासत के राजा फतेहशाह के सेनापति भूप्पू रावत की बेटी थी तीलू. तीलू के दो बड़े भाई थे पत्वा और भक्तू. तीलू की सगाई बाल्यकाल में ही ईड़ गांव के सिपाही नेगी भवानी सिंह के साथ कर दी गई थी. बेला और देवकी की शादी तीलू के गांव गुराड में हुई थी. जो तीलू की हमउम्र थी. चौंदकोट में पति की बड़ी बहिन को 'रौतेली' संबोधित किया जाता है. बेला और देवकी भी तीलू को 'तीलू रौतेली' कहकर बुलाती थी.

वीर भाईओं की छोटी बहिन तीलू बचपन से तलवार-ढाल के साथ खेलकर बड़ी हो रही थी. बचपन में ही तीलू ने अपने लिए सबसे सुंदर घोड़ी 'बिंदुली' का चयन कर लिया था. 15 वर्ष की होते-होते गुरु शिबू पोखरियाल ने तीलू को घुड़सवारी और तलवारबाजी के सारे गुर सिखा दिए थे.

गौरतलब है कि तीलू रौतेली सिर्फ उत्तराखंड की ही नहीं बल्कि देश की वह वीरांगना हैं, जिन्होंने 15 से 20 साल की उम्र में सात युद्ध लड़े. उनकी वीरता को पूरा उत्तराखंड नमन करता है. यही कारण है कि प्रदेश की तरफ से हर साल उनकी जयंती पर उत्कृष्ट कार्य करने वाली महिलाओं को पुरस्कृत किया जाता है.

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