देहरादून: उत्तराखंड में सभी राजनीतिक दल 2022 के विधानसभा चुनाव की तैयारियों में जुटे हुए हैं. कांग्रेस और बीजेपी दोनों ही दल चुनावी रणनीति बना रहे हैं. बीजेपी ने 2022 के चुनाव को लेकर मुख्यमंत्री तक बदल दिया है. उधर कांग्रेस अभीतक नेता प्रतिपक्ष का चुनाव नहीं कर पाई है. पिछले दस दिन से उत्तराखंड में नेता प्रतिपक्ष को लेकर कांग्रेस में माथापच्ची चल रही है. नेता प्रतिपक्ष की घोषणा में हो रही देरी को कांग्रेस के अंदर एक बार फिर अंतर्कलह से जोड़कर देखा जा रहा है.
वहीं पार्टी सूत्रों की मानें तो कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष प्रीतम सिंह नेता प्रतिपक्ष की जिम्मेदारी लेने को तो तैयार हैं, लेकिन अब बात प्रदेश अध्यक्ष को लेकर अटक रही है. इसके साथ ही उत्तराखंड में कांग्रेस दो गुटों में बंटी हुई है. दोनों गुटों की प्रदेश अध्यक्ष और नेता प्रतिपक्ष को लेकर एक राय नहीं हो रही है. ऐसे में कांग्रेस हाईकमान कोई फैसला नहीं ले पा रहा है.
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कांग्रेस हाईकमान को इस बात का भी डर सत्ता रहा है कि यदि कोई भी एक गुट नाराज हो गया तो आगामी चुनाव में पार्टी को भारी नुकसान उठाना पड़ सकता है. जिसका फायदा सीधे तौर पर बीजेपी को मिलेगा. 2017 में ऐसा ही हुआ था. गुटबाजी के कारण पार्टी को हार का सामना करना पड़ा था. कांग्रेस 70 में से मात्र 11 सीटें जीत पाई थी. तत्कालीन मुख्यमंत्री हरीश रावत तो दो-दो सीटों से चुनाव हार गए थे.
बीते दिनों दिल्ली में उत्तराखंड कांग्रेस के प्रदेश प्रभारी देवेंद्र यादव की अध्यक्षता में विधायकों की बैठक भी हुई थी. उसमें निर्णय लिया गया था कि उत्तराखंड में नेता प्रतिपक्ष के नाम का एलान कांग्रेस राष्ट्रीय अध्यक्ष सोनिया गांधी करेंगी. उस बैठक को भी हुए एक हफ्ते से ज्यादा का वक्त हो चुका है, लेकिन अभीतक सोनिया गांधी भी नेता प्रतिपक्ष को लेकर कोई निर्णय नहीं ले पाई हैं.