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सत्ता में आने को बेचैन है कांग्रेस, लेकिन नेता प्रतिपक्ष चुनने में छूट रहे पसीने - उत्तराखंड नेता प्रतिपक्ष का चुनाव

उत्तराखंड में अगले साल होने वाले विधानसभा चुनाव के लिए सभी दल जोर-शोर से जुटे हुए हैं. सत्ता में वापसी को बेताब कांग्रेस चुनाव के लिए अपनी रणनीति तैयार कर रही है. लेकिन इंदिरा हृदयेश के निधन के बाद खाली हुई नेता प्रतिपक्ष की कुर्सी पर किसे बैठाया जाए, ये कांग्रेस हाई कमान तय नहीं कर पा रहा है.

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Published : Jul 7, 2021, 4:33 PM IST

Updated : Jul 7, 2021, 7:08 PM IST

देहरादून: उत्तराखंड में सभी राजनीतिक दल 2022 के विधानसभा चुनाव की तैयारियों में जुटे हुए हैं. कांग्रेस और बीजेपी दोनों ही दल चुनावी रणनीति बना रहे हैं. बीजेपी ने 2022 के चुनाव को लेकर मुख्यमंत्री तक बदल दिया है. उधर कांग्रेस अभीतक नेता प्रतिपक्ष का चुनाव नहीं कर पाई है. पिछले दस दिन से उत्तराखंड में नेता प्रतिपक्ष को लेकर कांग्रेस में माथापच्ची चल रही है. नेता प्रतिपक्ष की घोषणा में हो रही देरी को कांग्रेस के अंदर एक बार फिर अंतर्कलह से जोड़कर देखा जा रहा है.

वहीं पार्टी सूत्रों की मानें तो कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष प्रीतम सिंह नेता प्रतिपक्ष की जिम्मेदारी लेने को तो तैयार हैं, लेकिन अब बात प्रदेश अध्यक्ष को लेकर अटक रही है. इसके साथ ही उत्तराखंड में कांग्रेस दो गुटों में बंटी हुई है. दोनों गुटों की प्रदेश अध्यक्ष और नेता प्रतिपक्ष को लेकर एक राय नहीं हो रही है. ऐसे में कांग्रेस हाईकमान कोई फैसला नहीं ले पा रहा है.

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कांग्रेस हाईकमान को इस बात का भी डर सत्ता रहा है कि यदि कोई भी एक गुट नाराज हो गया तो आगामी चुनाव में पार्टी को भारी नुकसान उठाना पड़ सकता है. जिसका फायदा सीधे तौर पर बीजेपी को मिलेगा. 2017 में ऐसा ही हुआ था. गुटबाजी के कारण पार्टी को हार का सामना करना पड़ा था. कांग्रेस 70 में से मात्र 11 सीटें जीत पाई थी. तत्कालीन मुख्यमंत्री हरीश रावत तो दो-दो सीटों से चुनाव हार गए थे.

बीते दिनों दिल्ली में उत्तराखंड कांग्रेस के प्रदेश प्रभारी देवेंद्र यादव की अध्यक्षता में विधायकों की बैठक भी हुई थी. उसमें निर्णय लिया गया था कि उत्तराखंड में नेता प्रतिपक्ष के नाम का एलान कांग्रेस राष्ट्रीय अध्यक्ष सोनिया गांधी करेंगी. उस बैठक को भी हुए एक हफ्ते से ज्यादा का वक्त हो चुका है, लेकिन अभीतक सोनिया गांधी भी नेता प्रतिपक्ष को लेकर कोई निर्णय नहीं ले पाई हैं.

उत्तराखंड में चाहे कांग्रेस हो या फिर बीजेपी दोनों को जातीय और क्षेत्रीय संतुलन बैठा कर चलना पड़ता है. बीजेपी ने मुख्यमंत्री बदलकर क्षेत्रीय और जातीय संतुलन बैठा लिया. बीजेपी ने कुमाऊं के ठाकुर नेता पुष्कर सिंह धामी को मुख्यमंत्री बना दिया और गढ़वाल से ब्राह्मण नेता मदन कौशिक को पार्टी का प्रदेश अध्यक्ष बना दिया है.

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कांग्रेस ने भी अभीतक ऐसा ही कर रखा था. कांग्रेस ने गढ़वाल के ठाकुर नेता प्रीतम सिंह को पार्टी का प्रदेश अध्यक्ष बना रखा था, वहीं कुमाऊं की दिग्गज नेता इंदिरा हृदयेश को ब्राह्मण चेहरे के तौर पर नेता प्रतिपक्ष बनाया था. बीते दिनों इंदिरा हृदयेश का दिल्ली में निधन हो गया था. तभी से कांग्रेस में नेता प्रतिपक्ष को लेकर माथापच्ची चल रही है.

नेता प्रतिपक्ष को लेकर कांग्रेस में जो माथापच्ची चल रही है कि उस पर कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष प्रीतम सिंह और उपनेता प्रतिपक्ष करण महारा ने कहा कि विधायकों ने नेता प्रतिपक्ष का फैसला राष्ट्रीय अध्यक्ष सोनिया गांधी पर छोड़ा है. कांग्रेस का राष्ट्रीय नेतृत्व इस पर चिंतन और मनन कर रहा है. कांग्रेस ने चिंतन और मनन होती है. जबकि बीजेपी में हुक्म चलता है. कांग्रेस और बीजेपी के बीच में यही फर्क है.

वहीं जब उपनेता करण महारा से सवाल किया गया कि क्या वो नेता प्रतिपक्ष की जिम्मेदारी लेंगे तो उन्होंने कहा कि वे पार्टी के सिपाही हैं और पार्टी जिस मोर्चे पर उन्हें खड़ा करेगी, वहां डटकर मुकाबला करेंगे.

Last Updated : Jul 7, 2021, 7:08 PM IST

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