देहरादून: आगामी साल 2022 में होने वाले विधानसभा चुनाव के मद्देनजर राजनीतिक पार्टियां दमखम से तैयारियों में जुटी हुई हैं. इसी क्रम में कांग्रेस के नेताओ ने 'गांव-गांव कांग्रेस' का एक बड़ा अभियान चलाया है. इस तीन दिवसीय अभियान के बाद से ही कांग्रेस के नेता काफी उत्साहित नजर आ रहे हैं. दरअसल, उत्तर प्रदेश में जैसे कांग्रेस के नेता गांव-गांव जाकर रात बिता रहे थे, वैसा ही उत्तराखंड के नेताओं ने तीन दिवसीय 'गांव-गांव कांग्रेस' का अभियान चलाया है. इसमें कांग्रेस के तमाम छोटे बड़े नेता गांवों में चौपाल भी लगा रहे हैं. इस कार्यक्रम से आगामी विधानसभा चुनाव में कांग्रेस न सिर्फ जीत का दावा कर रही है बल्कि, सत्ता पर काबिज होने की भी तैयारी भी कर रही है.
विधानसभा चुनाव में जहां कांग्रेस के सामने सत्ता पर काबिज होने की चुनौती है, वहीं, भाजपा के लिए सत्ता बरकरार रखकर पुराने मिथकों को तोड़ना उससे भी बड़ी चुनौती है. जिसके कारण दोनों ही दल पूरे जोर-शोर से तैयारियों में जुटे हैं. दोनों ही दल तमाम तरह के अभियान चलाकर जनता को अपने पक्ष में करने की कवायद में जुटे हुए हैं. इसी क्रम में भाजपा बूथ लेवल तक के कार्यकर्ताओं को मजबूत कर रही है वहीं, कांग्रेस 'गांव-गांव कांग्रेस' अभियान चलाकर अपने नेताओं को सक्रिय कर रही है. इस दौरान कांग्रेस ने नेता गांवों में जाकर सरकार की खामियां गिना रहे हैं. साथ ही वे कांग्रेस की रीति-नीति को भी सबके सामने रख रहे हैं.
पढ़ें-लखीमपुर-खीरी जा रहे हरीश रावत पुलभट्टा बॉर्डर पर गिरफ्तार
पहले शुरू किया जाना चाहिए था 'गांव-गांव कांग्रेस' कार्यक्रम:इस बारे में वरिष्ठ पत्रकार भागीरथ शर्मा ने बताया कि कांग्रेस को उम्मीद है कि आगामी 2022 विधानसभा चुनाव में राज्य सरकार की जन विरोधी लहर का उसे फायदा मिलेगा. अभी फिलहाल यह सोचना जल्दबाजी होगा. चुनाव के मद्देनजर राजनीतिक दल तमाम कार्यक्रम करते हैं. उसी तर्ज पर कांग्रेस ने भी 'गांव-गांव कांग्रेस' अभियान चला रही है. उन्होंने कहा यह कार्यक्रम उस वक्त किए जा रहे हैं जब चुनाव बेहद नजदीक हैं, जबकि होना यह चाहिए कि ऐसे कार्यक्रम पहले ही हो जाने चाहिए थे. ऐसे में एक बड़ा सवाल यह भी खड़ा होता है कि पिछले साढ़े चार सालों से कांग्रेस कहां थी, जबकि उस वक्त उन्हें गांव गांव जाना चाहिए था.
पढ़ें-सरकार को लोकतंत्र में विश्वास नहीं, लखीमपुर की घटना पर हरीश रावत का गुस्सा
अभियान को विस्तार देने की है जरूरत:भागीरथ शर्मा ने बताया कि इस तरह के अभियान सीमित समय के लिए चलाने से कुछ नहीं होगा बल्कि ऐसे अभियान का विस्तारीकरण भी होना चाहिए. इस बात पर ध्यान देना चाहिए कि इस अभियान के तहत कितने गांवों को कवर किया गया है. इस तीन दिवसीय कार्यक्रम के दौरान मुश्किल से सैकड़ों गांवों तक ही कांग्रेस पहुंच पाई होगी, हालांकि, अमूमन यह देखा जाता है कि अभियान के दौरान तमाम छोटे-बड़े नेता फोटो खिंचवाने, वीडियो बनवाने में जुट जाते हैं. ऐसे में इसका फायदा नहीं होता. लिहाजा संगठन को चाहिए कि पूरी मजबूती के साथ कार्यकर्ताओं को खड़ा करें. अभियान का विस्तारीकरण कर गांव-गांव तक पहुंचे.