BJP पर 'फायर' हुईं गरिमा दसौनी देहरादूनःकांग्रेस ने राज्य सरकार की खनन नीति, हल्द्वानी में दृष्टिबाधित संस्थान में यौन उत्पीड़न और गंगाजल को लेकर सरकार पर हमला बोला है. कांग्रेस प्रदेश प्रवक्ता गरिमा दसौनी ने सबसे पहले हल्द्वानी के दृष्टिबाधित संस्थान का मामला उठाते हुए कहा कि हल्द्वानी में छात्रों के साथ यौन उत्पीड़न करने वाले आरोपी को लेकर सरकार आखिर मौन क्यों है? इसके अलावा उन्होंने बीजेपी सरकार के खनन नीति पर भी सवाल उठाए. साथ ही गंगाजल पर 18% जीएसटी लगाने पर सरकार को घेरा.
बीजेपी की महिलाएं करती हैं बड़ी-बड़ी बातें, अब साध रही चुप्पीःकांग्रेस प्रदेश प्रवक्ता गरिमा दसौनी ने कहा कि नवरात्रि में बालिकाओं के सम्मान से जुड़ी बड़ी-बड़ी बातें करने वाली बीजेपी की महिलाएं हल्द्वानी यौन उत्पीड़न मामले को लेकर चुप्पी साधे हुए हैं. सबसे बड़ा सवाल ये है कि महिला और बाल विकास मंत्री एक महिला होने के बावजूद इस पूरे मामले पर मौन है.
उन्होंने आरोप लगाया कि दृष्टिबाधित संस्थान में नाबालिग बच्चियों के साथ अश्लीलता करने वाले श्याम धनक सारी हदें पार कर चुका है. इसकी शिकायत मिलने के बावजूद हल्द्वानी पुलिस को इसका संज्ञान लेने में डेढ़ महीने लग गए. उन्होंने सवाल उठाया कि राज्य सरकार आखिर इस मामले को गंभीरता से क्यों नहीं ले रही है?
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गंगाजल को बेचने का लगाया आरोपःगरिमा दसौनी ने सरकार पर गंगाजल को बेचने का आरोप लगाया है. उन्होंने केंद्र सरकार की ओर से गंगाजल पर 18% जीएसटी लगाने वाले आदेश की भी कड़ी निंदा की. उन्होंने कहा कि मुख्य विपक्षी दल कांग्रेस ने प्रमुखता से इस मुद्दे को उठाया, तब जाकर कहीं गंगाजल को बेचने का मन बना चुकी बीजेपी सरकार बैक फुट में आई. प्रधानमंत्री मोदी जब भी उत्तराखंड आते हैं तो केदार बाबा और गंगा का जिक्र कर उत्तराखंड से गहरे संबंधों की बात करते हैं, लेकिन आज पवित्र गंगाजल को भी बेचने का सरकार प्रयास कर रही है.
कांग्रेस प्रदेश प्रवक्ता गरिमा दसौनी
कांग्रेस प्रदेश प्रवक्ता गरिमा दसौनी ने कहा कि निशंक सरकार में भी गंगाजल बेचे जाने के निर्णय को विरोध के कारण वापस लेना पड़ा था. अब केंद्र सरकार को कांग्रेस के दबाव में 18% GST लगाकर गंगाजल बेचने वाले फैसले से कदम पीछे खींचने पड़े हैं.
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प्रदेश सरकार के खनन नीति पर भी उठाए सवालः गरिमा ने कहा कि प्रदेश की आर्थिकी आबकारी, खनन पर निर्भर करती है, लेकिन इसके बावजूद सरकार के पास कोई ठोस खनन नीति नहीं है. उन्होंने कहा की सरकार के पास एक भी सक्षम अधिकारी ऐसा नहीं है, जो राज्य सरकार को ठोस और फूल प्रूफ खनन नीति डिजाइन करके दे सके. जिसे हाईकोर्ट में चैलेंज नहीं किया जा सके.