देहरादून: उत्तराखंड के चुनावी दंगल में कांग्रेस इस बार सत्ता पाने के लिए काफी ज्यादा उत्साहित है. राजनीतिक जोड़-तोड़ के लिहाज से कांग्रेस खुद को सत्ता के करीब मान रही है, हालांकि पार्टी पूरे प्रदेश में अपनी जीत का दावा कर रही है, लेकिन हकीकत यह है कि कांग्रेस की सबसे ज्यादा उम्मीद हरिद्वार और उधम सिंह नगर जिले से हैं. क्या है इन दो जिलों के समीकरण और कांग्रेस के सत्ता की सीढ़ी चढ़ने के लिए यह 2 जिले क्यों महत्वपूर्ण है. जानिए इस रिपोर्ट में.
उत्तराखंड में 70 विधानसभा सीटों पर चुनाव हुए हैं. अधिकतर सीटों पर भाजपा और कांग्रेस के बीच कांटे की टक्कर है. यही कारण है कि दोनों ही दल इस कड़े मुकाबले में अपनी सरकार बनाने का दावा कर रहे हैं. वैसे तो सभी 70 विधानसभा महत्वपूर्ण है, लेकिन राजनीतिक समीकरणों के लिहाज से समझा जाए तो उत्तराखंड में कांग्रेस के लिए 2 जिले सत्ता की सीढ़ी पर चढ़ने के लिए सबसे ज्यादा निर्णायक भूमिका में हैं.
इन दो जिलों में पहला जिला हरिद्वार और दूसरा उधम सिंह नगर है. दरअसल, इन दोनों जिलों में धार्मिक और जातीय समीकरणों के साथ कुछ दूसरे कारण है, जिसके चलते इन दो जिलों पर ही कांग्रेस की सबसे ज्यादा नजर है. हालांकि, कांग्रेस का मानना है कि उन्होंने सभी 70 विधानसभा सीटों पर मजबूती से चुनाव लड़ा है और सभी जगह उन्हें अच्छा रिस्पांस मिला है.
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बता अगर हरिद्वार जिले की करें तो यहां सबसे ज्यादा 11 विधानसभा सीट हैं. वहीं, उधम सिंह नगर में 9 विधानसभा सीटें हैं. राज्य की 70 विधानसभाओं में से 20 विधानसभा सीटें इन 2 जिलों में हैं. इन दो जिलों में कई सीटें मुस्लिम और दलित गठजोड़ से हासिल की जा सकती है. हरिद्वार की 8 विधानसभा सीटों पर सीधे मुस्लिम और दलित वोट निर्णायक भूमिका में हैं. उधम सिंह नगर में 9 विधानसभा सीटों में मुस्लिम वोटर और दलितों की मौजूदगी के साथ किसानों की भी अच्छी खासी संख्या है.
वहीं, उधम सिंह नगर की 5 विधानसभा सीटों पर किसानों के वोट के जरिए कांग्रेस सत्ता पाने की कोशिश में हैं. इन दो जिलों में किसानों की अच्छी खासी संख्या और कृषि कानून के चलते भाजपा के खिलाफ माहौल भी कांग्रेस के लिए मजबूती बन सकती है. उधम सिंह नगर में बंगाली वोटर और सिख वोटर भी है निर्णायक भूमिका में है.
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उधम सिंह नगर जिले में 9 विधानसभा सीटों में से 8 सीटों पर भाजपा ने 2017 में जीत हासिल की थी. जसपुर विधानसभा को छोड़ दिया जाए तो सभी सीटों पर भाजपा जीती थी. खास बात यह है कि यही वह जिला है, जहां से मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी भी जीत कर आए हैं. वह खटीमा से एक बार फिर चुनाव लड़ रहे हैं, लेकिन इस बार सरकार विरोधी लहर और किसानों का विरोध से कांग्रेस को सत्ता में आने की उम्मीद दिला रहा है.
हरिद्वार जिले में सबसे ज्यादा विधानसभा सीटें हैं, यहां पर 11 सीटें हैं, जिसमें से 8 सीटों पर भाजपा ने 2017 में जीत हासिल की थी. जबकि 3 सीटों पर ही कांग्रेस जीत पाई थी. कांग्रेस ने मुस्लिम बाहुल्य मंगलौर, भगवानपुर और पिरान क्लियर सीट पर जीत हासिल की थी, लेकिन इस बार सरकार विरोधी लहर के साथ किसानों की मौजूदगी और मुस्लिम दलित का समीकरण हरिद्वार जिले में भी कांग्रेस को संजीवनी दे सकता है. यही कारण है कि कांग्रेस 20 विधानसभा सीटों पर अधिकतर सीटों पर जीत हासिल कर सरकार बनाने की सपना को देख रही है.