देहरादून:देवस्थानम बोर्ड को लेकर एक बार फिर सियासत शुरू हो गई है. शुक्रवार को हुई देवस्थानम बोर्ड की हुई तीसरी बैठक के बाद लगभग यह स्थिति स्पष्ट हो गई है कि राज्य सरकार देवस्थानम बोर्ड के पुनर्विचार करने के मूड में नहीं है. क्योंकि राज्य सरकार ने देवस्थानम बोर्ड का विरोध कर रहे तीर्थ पुरोहितों को मनाने की जिम्मेदारी धर्मस्व मंत्री सतपाल महाराज को सौंपी है, जिसके बाद से ही अब कांग्रेस, सत्ता पर काबिज होने के बाद इस बोर्ड को निरस्त करने की बात कह रही है.
कांग्रेस की प्रदेश प्रवक्ता गरिमा दसौनी ने कहा कि जब देवस्थानम बोर्ड का गठन हुआ था, उस दौरान से ही कांग्रेस ने यह बात स्पष्ट कर दी कि जैसे ही कांग्रेस सत्ता में आएगी, सबसे पहले देवस्थानम बोर्ड को निरस्त करेगी. क्योंकि, देवस्थानम बोर्ड का गठन कर भाजपा सरकार ने तीर्थ पुरोहितों और हक-हकूकधारियों का अनादर किया है. सनातन धर्म में साधु संतों का देव तुल्य स्थान है. बावजूद इसके साधु संत लगातार सड़कों पर उतरकर विरोध कर रहे हैं, जो उत्तराखंड के लिए शर्म की बात है.
देवस्थानम बोर्ड को लेकर एक बार फिर गरमाई उत्तराखंड की राजनीति, कांग्रेस ने बीजेपी सरकार पर आरोप लगाते हुए कहा कि चारों धाम के अधीन जो अरबों की संपत्तियां हैं, उन संपत्तियों पर भाजपा की नजर है. उन संपत्तियों को खुर्दबुर्द करने के लिए ही देवस्थानम बोर्ड का गठन किया गया है.
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देवस्थानम बोर्ड को लेकर कांग्रेस द्वारा राज्य सरकार पर लगाए गए आरोपों पर बीजेपी ने कटाक्ष किया है. भाजपा के प्रदेश प्रवक्ता विनोद सुयाल ने कहा है कि उत्तराखंड में कांग्रेस की जो दुर्गति है, उससे साफ जाहिर है कि कांग्रेस सत्ता में नहीं आ सकती. लिहाजा, कांग्रेस सत्ता में आने का ख्वाब देख रही है. इसलिए कांग्रेस कुछ भी कह सकती है.
उन्होंने कहा कि देवस्थानम बोर्ड को लेकर राज्य सरकार ने अपना स्टैंड क्लीयर कर दिया है कि अगर किसी भी तीर्थ पुरोहित और हक- हकूकधारी को कोई समस्या है, तो उस पर मिल बैठकर समाधान किया जाएगा. कुछ संशोधन करने की जरूरत होगी, तो संशोधन भी किया जाएगा.
बता दें, चारधाम समेत प्रदेश के 51 मंदिरों को एक बोर्ड के अधीन लाने के लिए बनाया गया है. उत्तराखंड चारधाम देवस्थानम प्रबंधन बोर्ड का जब से गठन हुआ है, तब से लगातार चर्चाओं में बना हुआ है. जिसकी मुख्य वजह है कि बोर्ड बनाने की बात ही शुरू हुई थी उसके बाद से ही धामों से जुड़े तीर्थ पुरोहित और हक- हकूकधारी इसका विरोध कर रहे हैं. यही नहीं, कांग्रेस भी तीर्थ पुरोहितों का साथ देते हुए लगातार बोर्ड का विरोध कर रही है, लेकिन बीते शुक्रवार को हुई बोर्ड की तीसरी बैठक के बाद कांग्रेस एक बार फिर से राजनीतिक सियासत चमकाने में जुट गई है.