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वेतन भत्तों में कटौती को लेकर कांग्रेस-बीजेपी आमने-सामने, एक दूसरे पर लगा रहे आरोप

कोरोना काल में उत्तराखंड के विधायकों के वेतन भत्ते में कटौती को लेकर एक बार फिर सियासत तेज हो गई है. वहीं विधायकों के वेतन भत्ते में कटौती को लेकर बीजेपी और कांग्रेस आमने-सामने आ गए हैं.

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Published : Aug 7, 2020, 11:02 AM IST

Updated : Aug 7, 2020, 12:51 PM IST

देहरादून:विधायकों की वेतन कटौती को लेकर प्रदेश सरकार अब अध्यादेश लाने की तैयारी में हैं. कांग्रेस विधायकों का आरोप है कि कोविड फंड के नाम पर भाजपा सरकार ने वेतन कटौती का निर्णय लिया है, लेकिन भाजपा विधायकों ने कैबिनेट के फैसले के अनुसार वेतन कटौती नहीं कराई. वहीं, भाजपा सरकार ने भी कांग्रेस पर हर बात में राजनीति करने का आरोप लगाते हुए कहा कि कोरोना काल में भाजपा विधायकों ने अपने क्षेत्रों में जाकर लोगों की आर्थिक सहायता करते हुए राशन, सैनिटाइजर और मास्क वितरित किए. लेकिन कांग्रेस इसका उल्लेख नहीं करेगी. ऐसे में भाजपा और कांग्रेस में कोरोना संकट काल में दिए गए योगदान को लेकर आरोप-प्रत्यारोप का दौर शुरू हो गया है.

कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष प्रीतम सिंह ने कहा कि सरकार ने विधायकों के वेतन भत्तों में कटौती किए जाने का फैसला लिया था. उस दौरान कांग्रेस ने कहा था कि सत्ता पक्ष-विपक्ष को विश्वास में लेकर इस निर्णय को लें. कम से कम नेता प्रतिपक्ष से संवाद स्थापित करके जो भी निर्णय लिया जाता वह सर्वमान्य होता. लेकिन सरकार ने हठधर्मिता के चलते एकतरफा निर्णय लिया. जिसे कांग्रेस के विधायकों ने स्वीकार करते हुए तीस प्रतिशत वेतन भत्तों में कटौती कराई. लेकिन अब स्थिति अजीबोगरीब हो गई है.

वेतन भत्तों में कटौती को लेकर कांग्रेस-बीजेपी आमने-सामने.

जिस सरकार ने निर्णय लिया था उसी सत्तापक्ष के विधायकों ने सरकार के निर्णय को स्वीकार नहीं किया. उन्होंने कहा कि जो भाजपा हमारे ऊपर तंज कसा करती थी, आज उनको अपने गिरेबान में झांकना चाहिए. उन्हें यह समझना चाहिए कि वास्तव में इस कोरोना माहमारी में कौन आमजन के साथ खड़ा है. उन्होंने कहा कि कांग्रेस के विधायकों ने अपना योगदान देते हुए एक नजीर पेश की है और कांग्रेस कोरोना महामारी में उत्तराखंड के आमजन के साथ खड़ी है.

भाजपा ने कांग्रेस पर हर बात पर राजनीति करने का आरोप लगाया है. भाजपा के प्रदेश प्रवक्ता विपिन कैंथोला ने कहा कि जब पीएम केयर्स फंड की बात आई थी तब नेता प्रतिपक्ष ने साफ कहा था कि 30 प्रतिशत ही वेतन भत्तों में कटौती किया जाएं. लेकिन पहले कांग्रेस विरोध करती है और उसी बात को आगे बढ़ाती है. ऐसे में कांग्रेस हर बात का राजनीतिकरण करने से नहीं चूकती है. उन्होंने कोरोना काल में भाजपा विधायकों द्वारा किए गए कामों का उल्लेख करते हुए कहा कि भाजपा के विधायकों ने इस कोरोना काल में अपने क्षेत्रों में जाकर व्यक्तिगत रूप से कई काम किए हैं.

लेकिन कांग्रेस इसका उल्लेख नहीं करेगी. उन्होंने कहा कि कांग्रेस के नेताओं को यह बताना चाहिए कि लॉकडाउन में कांग्रेस की तरफ से कितनी रसोईया संचालित की जा रही थी. जब महामारी ने विकराल रूप धारण किया हुआ था उस दौरान कांग्रेस सड़कों पर उतर कर राजनीति करने में लगी हुई थी, क्योंकि कांग्रेस की हर बात में राजनीति करने की आदत हो गई है.

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बता दें कि, कांग्रेस पार्टी ने भाजपा पर ओछी राजनीति करके का आरोप लगाया है. कांग्रेस ने कहा कि मुख्यमंत्री राहत कोष में कोरोना संक्रमण के लिए राज्य सरकार के कैबिनेट निर्णय की बीजेपी विधायकों ने कलई खुल दी है. उससे पूरे प्रदेश ही नहीं देश की जनता को भी पता चल गया है कि बीजेपी प्रचार और श्रेय के लिए कितना झूठ बोल सकती है. जबकि भाजपा का कहना है कि कोरोना काल में भाजपा विधायकों ने अपने क्षेत्रों में जाकर जरूरतमंदों को व्यक्तिगत रूप से आर्थिक सहायता देते हुए, राशन, सैनिटाइजर और मास्क वितरित किए.

Last Updated : Aug 7, 2020, 12:51 PM IST

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