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मसूरी शिफन कोर्ट: अतिक्रमणकारियों को मिला कांग्रेस का साथ, रहने के लिए मांगी जमीन - मसूरी अतिक्रमणकारी

मसूरी शिफन कोर्ट से हटाए गए 84 परिवारों की मदद के लिए कांग्रेस आगे आई है. मसूरी शहर कांग्रेस अध्यक्ष गौरव अग्रवाल ने सभी 84 परिवारों को यूपीएसएमडीसी की खाली जमीन पर विस्थापित किए जाने की मांग की है.

Mussoorie Shifan Court
मसूरी शिफन कोर्ट न्यूज

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Published : Aug 27, 2020, 8:13 AM IST

मसूरी: शहर कांग्रेस कमेटी मसूरी ने शिफन कोर्ट में सरकारी जमीन पर रह रहे 84 परिवारों को बलपूर्वक हटाए जाने का कड़ा विरोध किया है. मसूरी शहर कांग्रेस अध्यक्ष गौरव अग्रवाल ने सभी 84 परिवारों को अस्थाई तौर पर मसूरी के हाथी पांव में पर्यटन विभाग की यूपीएसएमडीसी की खाली जमीन पर विस्थापित किए जाने की मांग की है.

84 परिवारों की मदद के लिए आगे आई कांग्रेस.

गौरव अग्रवाल का कहना है कि प्रदेश की भाजपा सरकार ने मसूरी शिफन कोर्ट में निवास कर रहे 84 परिवारों को बेघर करने के लिए पूरे पुलिस अमले और प्रशासन को मसूरी में तैनात कर दिया था. साथ ही मसूरी के गांधी चौक से लेकर पेट्रोल पंप तक के 2 किलोमीटर के क्षेत्र को छावनी में तब्दील कर दिया गया. इस दौरान कोविड-19 के नियमों का जमकर उल्लंघन किया गया.

उन्होंने कहा कि सरकार को शिफन कोर्ट से गरीबों को हटाने से पहले उनको विस्थापित करने की योजना बनानी चाहिए थी, लेकिन ऐसा नहीं किया गया. सरकार ने गरीबों को बेघर कर दिया है. इसलिए कांग्रेस सरकार से मांग करती है कि शिफन कोर्ट के 84 परिवारों को अस्थाई व्यवस्था करते हुए मसूरी के हाथी पांव में पर्यटन विभाग की यूपीएसएमडीसी की खाली भूमि पर विस्थापित किया जाए.

गौरव अग्रवाल ने मसूरी बीजेपी विधायक गणेश जोशी और मसूरी पालिका अध्यक्ष अनुज गुप्ता पर भी जमकर हमला बोला. उन्होंने कहा कि दोनों नेताओं ने शिफन कोर्ट के लोगों को मात्र वोटों के लिए इस्तेमाल किया. जब उनके घर उजड़ रहे थे तो मसूरी विधायक गणेश जोशी वहां पर राजनीति कर रहे थे. दूसरी ओर पालिका अध्यक्ष अनुज गुप्ता नदारद थे. ऐसे में दोनों नेता अपनी कुर्सी की राजनीति कर रहे हैं जो बर्दाश्त नहीं किया जाएगा.

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उन्होंने सरकार से मांग की है कि अतिक्रमण हटाओ अभियान के तहत जिस तरीके से कार्रवाई करते हुए अधिकारियों ने सोशल डिस्टेंसिंग का जमकर उल्लंघन किया, उन पर कोविड-19 की धारा 188 के तहत मुकदमा दर्ज किया जाए. इसके साथ ही उन्होंने कहा कि अगर उनकी मांग पूरी नहीं होती तो वह 15 दिन के बाद इसको लेकर प्रदेश सरकार के खिलाफ उग्र आंदोलन करेंगे, जिसकी पूरी जिम्मेदारी शासन- प्रशासन की होगी.

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