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मेरिनो भेड़ खरीद को कांग्रेस ने बताया घोटाला, बीजेपी ने कहा- उनमें बुद्धि का पड़ गया अकाल

त्रिवेंद्र सरकार ने ऑस्ट्रेलिया से 240 मेरिनो भेड़ खरीदी है. जिसमें 200 मादा और 40 मेल भेड़ है. खास बात यह है कि इनमें एक भेड़ की कीमत तीन लाख 33 हजार के करीब है. इस तरह कुल खरीदी गई भेड़ों पर साढे आठ करोड़ रुपए खर्च किए गए है. भेड़ों की कीमत पर कांग्रेस ने सवाल खड़े करते करते हुए इसे बड़ा घोटाला करार दिया है.

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मेरिनो भेड़

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Published : Dec 28, 2019, 8:56 PM IST

Updated : Dec 28, 2019, 9:13 PM IST

देहरादून:उत्तराखंड में ऑस्ट्रेलिया की मेरिनो भेड़ की खरीद को प्रदेश के भेड़ पालकों के लिए बड़ी सौगात के रूप में देखा जा रहा है. साथ ही मेरिनो भेड़ खरीदकर सरकार भी पशुपालकों को बड़ा तोहफा देने का दावा कर रही है. वहीं, विपक्ष ने देश-प्रदेश के खराब आर्थिक स्थिति का हवाला देते हुए इतनी महंगी भेड़ों की खरीद को लेकर सरकार की मंशा पर सवाल खड़े किये हैं. कांग्रेसियों ने सरकार की मेरिनो भेड़ खरीद पर शंका जताते हुए इसे बड़ा घोटाला करार दिया है.

भेड़ खरीद पर शुरू हुई राजनीत.

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बता दें कि त्रिवेंद्र सरकार ने ऑस्ट्रेलिया से 240 मेरिनो भेड़ खरीदी है. जिसमें 200 मादा और 40 मेल भेड़ है. खास बात यह है कि इनमें एक भेड़ की कीमत तीन लाख 33 हजार के करीब है. इस तरह कुल खरीदी गई भेड़ों पर साढ़े आठ करोड़ रुपए खर्च किए गए है. भेड़ों की कीमत पर कांग्रेस ने सवाल खड़े करते करते हुए इसे बड़ा घोटाला करार दिया है.

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कांग्रेस नेता जोत सिंह बिष्ट ने कहा कि इस समय देश और प्रदेश की आर्थिक स्थिति काफी खराब है. ऐसी स्थिति में इतनी महंगी भेड़ों को खरीद कर सरकार ने अंदर खाने बड़ा घोटाला किया है. वैसे तो राष्ट्रीय पशुधन मिशन योजना के तहत केंद्र सरकार की मदद से तमाम राज्य भेड़ खरीद रहे हैं. कांग्रेस का सवाल उन पुरानी भेड़ खरीद पर भी है जो पूर्व में खरीदी गई थी, लेकिन अब उनकी नस्ल खराब बताई जाने लगी है.

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हालांकि, कांग्रेस के सवालों पर बीजेपी ने भी उसी की भाषा में जवाब दिया. बीजेपी ने जोरदार पलटवार करते हुए कांग्रेस में बुद्धि का अकाल होने की बात कह रही है. बीजेपी का कहना है कि भेड़ों की खरीद भेड़ पालकों के उत्पादन और आमदनी को बढ़ाने के लिए की गई है. ऐसे में कांग्रेस के पास न तो नीतिगत जानकारी है. अब लगता है उनमें बुद्धि का भी अकाल पड़ गया है.

बहरहाल, भेड़ खरीद के मामले में वैसे तो इसे पशु पालकों के हित में उठाए गए कदम ही माना जाना चाहिए, लेकिन यह भी जरूरी है कि सरकार विदेशों से लाई जाने वाली भेड़ों की नस्लें खराब न हो इसको लेकर भी विशेष ध्यान रखें. ताकि करोड़ों रुपए खर्च होने के बाद पशुपालकों को इस फायदा लंबे समय तक मिलता रहे.

Last Updated : Dec 28, 2019, 9:13 PM IST

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