देहरादून: उत्तराखंड में ग्राम्य विकास विभाग के अंतर्गत चलने वाली दो परियोजनाएं इन दिनों एक चिट्ठी के चलते असमंजस में दिखाई दे रही हैं. स्थिति ये है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की प्राथमिकता में शामिल आजीविका मिशन के अधिकारी एक अजीब से डर में घिरे हैं, जिसका सीधा असर मिशन के ही कर्मचारियों के हितों पर पड़ता दिख रहा है. उत्तराखंड राज्य आजीविका मिशन (Uttarakhand Aajeevika Mission), का काम गरीबों की आजीविका संवर्धन करना है. लेकिन ग्रामीण विकास विभाग के अंतर्गत आने वाले आजीविका मिशन के CEO आनंद स्वरूप (CEO of Aajeevika Mission Anand Swarup) ने एक ऐसा पत्र जारी किया है, जो चर्चाओं में है.
दरअसल, आजीविका मिशन में काम कर रहे कर्मचारियों को ग्रामीण विकास विभाग के ही दूसरे प्रोजेक्ट REAP (Rural Enterprise Acceleration Project) में नियुक्ति नहीं देने की बात इस पत्र में लिखी गयी है. बता दें, ग्रामीण विकास विभाग की इन दोनों योजनाओं में मानव संसाधन सप्लाई करने का काम एक ही कंपनी इंडक्टस को दिया गया है. अब क्योंकि REAP योजना में वेतनमान अधिक बताया गया है, लिहाजा आजीविका मिशन के कई कर्मचारियों की REAP के लिए आवेदन करने की संभावना व्यक्त की जा रही है. बस कर्मचारियों के आजीविका मिशन को छोड़कर REAP में जाने की इन्हीं संभावनाओं से चिंतित सीईओ ने इंडक्टस कंपनी को पत्र लिखकर आजीविका मिशन के कर्मचारियों को REAP में चयनित न करने के लिए कहा है, जबकि इंडक्टस कंपनी ने विज्ञापन निकालते समय ऐसी कोई शर्त नहीं रखी थी.
जाहिर है कि ऐसी कोई शर्त न होने के चलते आजीविका मिशन के कई कर्मचारियों ने आवेदन शुल्क देकर ऑनलाइन अप्लाई भी किया, जैसी संभावना खुद सीईओ पत्र में जता रहे हैं. मामले को लेकर ईटीवी भारत ने जब ग्रामीण विकास विभाग के आयुक्त और आजीवन मिशन के सीईओ आनंद स्वरूप से बात की तो उन्होंने कर्मचारियों के आजीविका मिशन से जाने की स्थिति में कई काम रुकने की अपनी चिंता को बताया. यही नहीं, विज्ञप्ति जारी होने के दौरान इसमें ऐसी कोई शर्त नहीं रखने पर इसे कंपनी की गलती भी बता दिया.
ग्रामीण विकास विभाग के आयुक्त आनंद स्वरूप के इस पत्र के बाद ऐसे कई सवाल हैं जो ग्रामीण विकास विभाग को लेकर खड़े हो रहे हैं. इसे आजीविका मिशन में काम करने वाले उन कर्मचारियों के हितों के खिलाफ भी माना जा रहा है जिन्होंने बकायदा आवेदन शुल्क देकर REAP प्रोजेक्ट के लिए अप्लाई किया. बता दें कि बीती 28 सितंबर 2022 को REAP प्रोजेक्ट में एप्लाई करने की आखिरी तारीख थी. इसके एक महीने बाद 28 अक्टूबर 2022 को इंडक्टस कंपनी को पत्र लिखा गया.
- अब खड़े हो रहे ये सवाल-निजी कंपनी को ठेका देते समय विभाग ने क्यों ध्यान नहीं दिया?
- आवेदन करने वाले कर्मचारियों के आवेदन शुल्क के डूबने का कौन जिम्मेदार होगा?
- क्या कंपनी आवेदन शुल्क वापस करेगी?
- महिला समूह की आजीविका बढ़ाने के लिए काम कर रहे कर्मचारियों को अपनी आजीविका बढ़ाने का क्यों नहीं है हक?
- विज्ञप्ति जारी होने के इतने समय बाद जाकर क्यों लिखी गयी चिट्ठी?