देहरादून: कोरोना वायरस के मद्देनजर कावंड़ यात्रा निरस्त होने के बाद हरिद्वार कुंभ पर भी संशय बना हुआ है. महाकुंभ 2021 को लेकर उत्तराखंड सरकार की तैयारियां तेज गति से चल रही है. हरिद्वार के मेला क्षेत्र में स्थायी और अस्थायी निर्माण कार्य किए जा रहे हैं. साधु-संतों के साथ मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत की हुई बैठक में तय समय पर कुंभ कराए जाने का निर्णय लिया गया था. इसके साथ ही जरूरत के हिसाब से तत्कालीन परिस्थितियों को देखते हुए भी निर्णय लेने पर सहमति बनी थी. ऐसे में अगले साल कोरोना वायरस की स्थिति ही महाकुंभ मेला के स्वरूप को तय करेगा.
कुंभ की तैयारियों पर बोलते हुए उत्तराखंड सरकार के प्रवक्ता मदन कौशिक ने कहा कि महाकुंभ मेले को लेकर जो स्वीकृतियां की गईं थीं, उसके अनुसार निर्माण कार्य किए जा रहे हैं. इसके साथ ही केंद्र सरकार की योजना के तहत नेशनल हाईवे के कार्य भी हो रहे हैं. मदन कौशिक का कहना है कि अखाड़ा परिषद और धार्मिक संस्थाएं महाकुंभ के स्वरूप को तय करती हैं. अखाड़ा परिषद और गंगा सभा की बैठक के बाद जो तय होता है, राज्य सरकार उसी फैसले के हिसाब से तैयारियां करती हैं.
मदन कौशिक के मुताबिक मेला क्षेत्र में निर्माण कार्यों की डेडलाइन दिसंबर 2020 तय की गई थी. लेकिन कोरोना और लॉकडाउन के चलते मेला क्षेत्र में निर्माण कार्यों में हो रही देरी के चलते डेडलाइन को थोड़ा आगे बढ़ाया गया है. इसके साथ ही मेला क्षेत्र में स्थानीय कार्यों को समय पर पूरा करने का प्रयास किया जा रहा है.
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कांग्रेस प्रदेश उपाध्यक्ष सूर्यकांत धस्माना ने कहा कि महाकुंभ का अपना एक धार्मिक महत्व है. आध्यात्मिक दृष्टि से उसकी एक तिथि तय की जाती है. जिस तरह चारधाम के कपाट खुल गए हैं, उसी तरह महाकुंभ के अनुष्ठान और पूजा यथावत रहना चाहिए. हालांकि महाकुंभ में श्रद्धालु कितने आएंगे, क्या स्वरूप होगा यह राज्य सरकार तय करती है. कोरोना संकट को देखते हुए महाकुंभ का स्वरूप तत्कालीन परिस्थितियां ही तय करेंगी. लेकिन सरकार को अपनी तैयारियां पूरी तरह से मुकम्मल कर लेनी चाहिए.