देहरादून:उत्तराखंड विधानसभा चुनाव 2022 का काउंटडाउन शुरू हो चुका है. चुनाव के लिए फिलहाल भारतीय जनता पार्टी और कांग्रेस के बीच सीधा मुकाबला दिख रहा है. आगामी चुनाव प्रदेश में अनुभवी नेतृत्व और युवा जोश के बीच होता हुआ दिखाई देगा. भाजपा आगामी चुनाव के लिए युवा जोश पर विश्वास जता रही है तो कांग्रेस ने अनुभवी नेतृत्व का नारा देकर जन समर्थन पाने की कोशिश की है.
उत्तराखंड में भाजपा युवा नेतृत्व अबकी बार 60 पार का नारा देकर युवाओं को साधने की कोशिश में जुटी है. पिछले 5 सालों में तीसरे मुख्यमंत्री के रूप में पुष्कर सिंह धामी को गद्दी देने के बाद पार्टी ने युवा नारे को देकर प्रदेश के आमजन को संदेश देने की कोशिश की है. इसी के तहत राज्य में युवा नेतृत्व के साथ युवा प्रतिनिधित्व भी भाजपा देने की कोशिश कर रही है. इसके तहत माना जा रहा है कि राज्य में कई ऐसे टिकट भी काटे जा सकते हैं, जिनकी उम्र 70 से अधिक है. पार्टी का मानना है कि युवाओं के बल पर युवाओं का वोट लिया जा सकता है और अगर ऐसा हुआ तो नए वोटर्स भाजपा को जीत दिला सकते हैं.
भाजपा की युवा नेतृत्व की सोच को असफल बनाने के लिए कांग्रेस ने अनुभव का सहारा लेने की कोशिश की है. इस कड़ी में हरीश रावत को चुनाव संचालन समिति का अध्यक्ष बनाकर एक तरह से कमान हरीश रावत के ही हाथों में दी है. खास बात यह है कि हरीश रावत के अनुभव को ही पार्टी चुनाव में भुनाने की कोशिश कर रही है और प्रयास है कि हरीश रावत को चेहरा बनाएं बिना उनकी ख्याति को कैश किया जा सके. कांग्रेस के प्रदेश महामंत्री संगठन मथुरा दत्त जोशी का कहना है कि अनुभव से ही सत्ता को चलाया जा सकता है और इसीलिए अनुभव को आगे रखकर कांग्रेस इस बार 2022 में सत्ता की चाबी को पाने जा रही है और जनता का भी समर्थन हासिल करने जा रही है.