देहरादून:कोरोना संकटकाल में पिछले छह महीनों से देश के साथ ही प्रदेश भर के कोचिंग इंस्टीट्यूट लगातार बंद चल रहे हैं. ऐसे में समय बीतने के साथ ही अब कोचिंग इंस्टीट्यूट संचालकों के सब्र का बांध टूटने लगा है. शहर के कोचिंग इंस्टीट्यूट संचालकों ने 1 अक्टूबर से सरकार के विरुद्ध जाकर अपने कोचिंग इंस्टीट्यूट का संचालन शुरू करने का फैसला लिया है.
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ईटीवी भारत से बात करते हुए राजधानी के कोचिंग इंस्टीट्यूट संचालकों ने खुलकर अपना दर्द बयां किया. कोचिंग इंस्टीट्यूट संचालकों के मुताबिक अनलॉक के दूसरे चरण से ही वह लगातार सरकार से उनकी फरियाद सुनने की गुहार लगा रहे हैं. लेकिन सरकार के पास उनकी फरियाद सुनने तक का समय नहीं है. हालांकि, दो दिन पूर्व कुछ कोचिंग इंस्टीट्यूट संचालकों ने मुख्य सचिव ओमप्रकाश से मुलाकात की थी. लेकिन इस दौरान भी उन्हें कोरे आश्वासनों के सिवा और कुछ नहीं मिला. ऐसे में अब स्वयं ही प्रदेश के सभी कोचिंग इंस्टीट्यूट संचालकों ने यह फैसला कर लिया है कि आगामी 1 अक्टूबर से वह खुद ही अपने कोचिंग इंस्टीट्यूट का संचालन शुरू कर देंगे.
गौरतलब है कि राजधानी देहरादून समेत प्रदेश भर में 600 से ज्यादा छोटे-बड़े कोचिंग इंस्टीट्यूट का संचालन हो रहा है. ऐसे में कोरोना संकटकाल में पिछले 6 महीनों से कोचिंग इंस्टीट्यूट का संचालन बंद होने की वजह से उनकी कमाई पूरी तरह से ठप हो चुकी है. जिसकी वजह से कोचिंग इंस्टीट्यूट संचालक चाहते हैं कि या तो सरकार उन्हें किसी तरह की आर्थिक मदद मुहैया कराए या फिर उन्हें इच्छा मृत्यु की अनुमति प्रदान करे.