देहरादून: मुख्यमंत्री कार्यालय से अवैध खनन का ट्रक छुड़ाने के मामले को सरकार ने अभी निपटाया ही था कि अब एक नया मामला फिर से सुर्खियां बटोर रहा है. इस बार मुख्यमंत्री के संयुक्त सचिव की तरफ से 3 शिक्षिकाओं के तबादले से जुड़ा पत्र वायरल हो रहा है. जिसकी वजह से विपक्षी दलों को बैठे-बिठाए एक बड़ा मुद्दा हाथ लग गया है. उत्तराखंड में शिक्षा विभाग के तबादले वैसे तो हमेशा से ही विवादों में रहे हैं. समय-समय पर तबादलों को लेकर कई सवाल भी खड़े होते रहे हैं, लेकिन इस बार मुख्यमंत्री कार्यालय का वायरल पत्र चर्चाओं में है.
दरअसल, इस पत्र में तीन शिक्षिकाओं के तबादले को लेकर संयुक्त सचिव की तरफ से शिक्षा महानिदेशक को लिखा गया है. यही नहीं इन तीनों ही शिक्षिकाओं को कहां स्थानांतरित करना है, यह भी पत्र में ही बताया गया है. इससे भी बड़ी बात यह है कि पत्र के अंत में इस मामले को व्यक्तिगत रूप से ध्यान में लाने की सलाह भी दी गई है.
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जाहिर है कि इन तीन शिक्षिकाओं के तबादले को लेकर पत्र लिखा गया है तो मामला गंभीर ही होगा. विपक्ष ने इस मुद्दे को तूल देते हुए सरकार पर अपनों को वीआईपी ट्रीटमेंट देने का आरोप लगाया है. कांग्रेस प्रवक्ता शीशपाल ने कहा कि प्रदेश में ऐसे कई शिक्षक और कर्मचारी हैं, जिनको गंभीर बीमारियां हैं और उनकी फाइलें दफ्तरों के चक्कर खा रही है, लेकिन इससे इतर सरकार के लोग अपने चहेतों और करीबियों को तबादलों में फायदा देने के लिए इस तरह के पत्र लिख रहे हैं.
वहीं, कांग्रेस का इस मामले पर आक्रामक होना, भाजपा के लिए चिंता पैदा करने वाला है. ऐसा इसलिए क्योंकि इस मुद्दे के जरिए कांग्रेस भाजपा सरकार में मुख्यमंत्री कार्यालय के उस पुराने पत्र की भी याद दिला रही है, जिसमें अवैध खनन के ट्रक छोड़े जाने का जिक्र किया गया था. हालांकि, मामले में भाजपा नेता सरकार का बचाव कर रहे हैं.