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NRC पर सीएम त्रिवेंद्र का बड़ा बयान, कहा- प्रदेश के लिए बेहद जरूरी है एनआरसी - uttarakhand news

सीएम त्रिवेंद्र ने कहा कि असम के बाद अब पूरे देश में एनआरसी लागू किए जाने के केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह की घोषणा का भी उन्होंने समर्थन किया है. मुख्यमंत्री ने कहा कि घुसपैठ के लिहाज से उत्तराखंड हमेशा से ही संवेदनशील रहा है. ऐसे में उत्तराखंड के लिए एनआरसी अधिक महत्वपूर्ण है.

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NRC पर सीएम त्रिवेंद्र का बयान

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Published : Dec 4, 2019, 9:31 PM IST

देहरादून:मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने केन्द्रीय कैबिनेट द्वारा नागरिकता बिल के प्रस्तावित संशोधन का स्वागत किया है. उन्होंने इसे राष्ट्रीय महत्व का फैसला बताते हुए फैसले को राष्ट्रहित से जुड़ा विषय बताया है. मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र ने कहा कि अंतरराष्ट्रीय सीमाओं से जुड़ा होने के कारण उत्तराखंड के लिए भी एनआरसी बेहद अहम है.

सीएम त्रिवेंद्र ने कहा कि असम के बाद अब पूरे देश में एनआरसी लागू किए जाने के केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह की घोषणा का भी उन्होंने समर्थन किया है. मुख्यमंत्री ने कहा कि घुसपैठ के लिहाज से उत्तराखंड हमेशा से ही संवेदनशील रहा है. ऐसे में उत्तराखंड के लिए एनआरसी महत्वपूर्ण है. इसलिए वे काफी पहले से प्रदेश में एनआरसी लागू करने की बात कह रहे हैं. उन्होंने कहा कि उत्तराखंड में ये पहले ही से ही विचाराधीन रहा है.

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केंद्र सरकार की पहल का उन्होंने समर्थन किया और इसे देश हित से जुड़ा फैसला बताया. घुसपैठ को एक बड़ी समस्या बताते हुए मुख्यमंत्री ने कहा कि एनआरसी के लागू होने के बाद राष्ट्रीय सुरक्षा को लेकर एक बड़ी समस्या का समाधान हो जाएगा.

बिल पर केंद्रीय मंत्रिमंडल ने दी मंजूरी
केंद्रीय मंत्रिमंडल ने राज्यसभा के लिए नागरिकता संशोधन बिल को मंजूरी दे दी है. विशेष सुरक्षा समूह (एसपीजी) बिल पारित होने के बाद सरकार सदन में नागरिकता संशोधन विधेयक (सीएबी) पेश कर सकती है.

देशभर में लागू करने की योजना नहीं
केंद्रीय गृह राज्य मंत्री नित्यानंद राय ने बुधवार को राज्यसभा को जानकारी दी कि राष्ट्रीय नागरिकता रजिस्टर (एनआरसी) को धार्मिक आधार पर देशभर में लागू करने की कोई योजना नहीं है. नित्यानंद ने एक अन्य प्रश्न के उत्तर में यह जानकारी भी दी कि गृह मंत्रालय ने सभी राज्य सरकारों और केंद्रशासित प्रदेशों को निर्देश दिया है कि वे अवैध प्रवासियों की पहचान करें और अवैध तरीके से हासिल किए गए उनके भारतीय दस्तावेज निरस्त करें.

जानिए क्या है एनआरसी
भारत के राष्ट्रीय नागरिक पंजीकरण में उन भारतीय नागरिकों के नाम हैं जो असम में रहते हैं. इसे भारत की जनगणना 1951 के बाद तैयार किया गया था. इसे जनगणना के दौरान वर्णित सभी व्यक्तियों के विवरणों के आधार पर तैयार किया गया था. इसके तहत जो लोग असम में बांग्लादेश बनने के पहले (25 मार्च 1971 के पहले) आए है, केवल उन्हें ही भारत का नागरिक माना जाएगा.

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