देहरादून: चमोली जनपद की निजमुला घाटी में मौजूद विशाल दुर्मी ताल के पुनर्निर्माण को लेकर पिछले साल कवायद शुरू की गई थी, इस ताल के पुनर्निर्माण के बाद न सिर्फ चमोली में पर्यटन को बढ़ावा मिलेगा. बल्कि रोजगार के अवसर भी सृजित होंगे. वहीं, गुरुवार को मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत खुद इसका निरीक्षण करने चमोली जा रहे हैं. विशाल दुर्मी ताल वर्ष 1971 में भारी भूस्खलन और बारिश की वजह से तहस-नहस हो गया था. जिसके बाद से ही इस ताल की स्थिति जस की तस बनी हुई है.
बता दें कि पिछले साल सितंबर महीने में दुर्मी ताल पुनर्निर्माण संरक्षण समिति ने ताल के नए स्वरूप की एनीमेशन इमेज जारी की थी. जिसमें ताल का स्वरूप दुर्मी गांव से पगना गांव तक किए जाने के लिए समिति के सदस्य पिछले साल मुख्यमंत्री से भी मुलाकात की थी. साथ ही समिति ने मास्टर प्लान के तहत ताल के संरक्षण की मांग उठाते हुए कहा था कि इस ताल के स्वरूप से कोई छेड़छाड़ ना की जाए.
दुर्मी ताल से जुड़ी है पौराणिक मान्यता
निजमुला घाटी की सुरम्य वादियों के मध्य स्थित दुर्मी ताल का धार्मिक महत्व भी है. मान्यता है कि जब मां पार्वती ने भगवान शिव से इस स्थान पर थोड़ी देर विश्राम करने की इच्छा जताई, तो भगवान शिव ने मां पार्वती के आग्रह पर यहां कुछ पल बिताया था. इसी दौरान प्यास बुझाने और स्नान के लिए भोले नाथ ने अपनी त्रिशूल से एक तालाब उत्पन्न कर दिया. जिसे दुर्मी ताल नाम से जाना जाता है.