ऋषिकेश:14 साल बाद जानकी सेतु का सपना साकार हुआ है. जी हां 2006 में मुख्यमंत्री रहे एनडी तिवारी के द्वारा स्वर्ग आश्रम और मुनी की रेती को जोड़ने के लिए जानकी सेतु बनाने का ऐलान किया था, लेकिन राजनीतिक उठापटक के कारण इस पुल को बनने में 14 वर्ष लग गए. हालांकि, अब जानकी सेतु बनकर तैयार हो गया है. सीएम 12 नवंबर को पुल का लोकार्पण करेंगे.
कैलाश गेट के पास बनाया गया जानकी सेतु का निर्माण 2006 में शुरू होना था, जिस समय इस पुल को बनाने की स्वीकृति मिली थी. उस समय ₹15 करोड़ का एस्टीमेट पास किया गया था, लेकिन एनडी तिवारी की सरकार जाने के बाद मुख्यमंत्री बने बीसी खंडूडी ने इस और ध्यान नहीं दिया, जिसके बाद इस पुल का काम लटक गया. हालांकि, एक बार फिर 2012 में कांग्रेसी सरकार बनी तो साल 2013 में तत्कालीन मुख्यमंत्री विजय बहुगुणा ने एक बार फिर से जानकी सेतु को बनाने का निर्णय लिया. इसके लिए रिवाइज बजट कर 33 करोड़ का बजट पास किया.
हालांकि, कुछ समय तक कार्य होने के बाद एक बार फिर इस पुल का कार्य अधर में लटक गया. क्योंकि विजय बहुगुणा की कुर्सी जाने के बाद हरीश रावत ने इस प्रदेश की कमान संभाली और इस ओर ध्यान नहीं दिया. इस उठापटक के बाद अब वर्तमान में बनी भाजपा की सरकार के मुखिया त्रिवेंद्र सिंह रावत ने इस ओर ध्यान दिया और इसको बनाने के लिए एक बार फिर बजट को बढ़ाकर लगभग 49 करोड़ रुपए पास किया गया. जिसके बाद अब जानकी सेतु बनकर तैयार हुआ है. दरअसल, वर्तमान सरकार में कृषि मंत्री बने सुबोध उनियाल का जानकी सेतु एक ड्रीम प्रोजेक्ट है. यही कारण है कि लगातार इस ब्रिज को बनाने के लिए सुबोध उनियाल ने हर संभव प्रयास किए.