देहरादून: उत्तराखंड कर्मकार कल्याण बोर्ड से हटाए जाने के बाद से नाराज चल रहे कैबिनेट मंत्री हरक सिंह रावत की नाराजगी का ठीकरा सीएम त्रिवेंद्र सिंह रावत ने मीडिया पर फोड़ा है. कैबिनेट मंत्री हरक सिंह रावत की नाराजगी अब सार्वजनिक कार्यक्रमों में भी दिखने लगी है. देहरादून में हरक सिंह रावत के ही विभाग से जुड़े कार्यक्रम में उनका न पहुंचना चर्चाओं के बाजार को गर्म कर गया.
कार्यक्रम में मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत तो आए. लेकिन, हरक सिंह रावत और विधायक उमेश शर्मा काऊ नहीं पहुंचे. चौंकाने वाली बात यह रही कि, हरक सिंह रावत और विधायक उमेश शर्मा काऊ दोनों ही देहरादून में मौजूद थे. बावजूद निमंत्रण दोनों नेता इस कार्यक्रम में शामिल नहीं हुए. ऐसे में कयास लगाए जा रहे हैं कि मंत्री हरक सिंह रावत सीएम त्रिवेंद्र से नाराज हैं और विधायक उमेश शर्मा काऊ भी मुख्यमंत्री की कार्य प्रणाली से खुश नहीं है.
CM ने नाराजगी का ठीकरा मीडिया पर फोड़ा. ये भी पढ़ें:बगावती रहा है हरक का इतिहास, उत्तराखंड में कई विवादों से जुड़ा है नाम
इस मामले में जब ईटीवी भारत ने मुख्यमंत्री से हरक सिंह की नाराजगी को लेकर सवाल पूछा तो मुख्यमंत्री ने इस मामले में पूरा ठीकरा मीडिया पर ही फोड़ डाला. सीएम त्रिवेंद्र सिंह रावत ने कहा कि मीडिया ही इस मामले में आपसी लड़ाई करवा रहा है. सीएम ने कहा कि मीडिया इस मामले में अंदरखाने की बातों को मिस कर गया है. हालांकि उन्होंने कहा कि जल्द ही हरक सिंह रावत उनसे मुलाकात करने वाले हैं.
हरक सिंह रावत के अध्यक्ष बनने के साथ ही शुरू हुआ विवाद
- कैबिनेट मंत्री हरक सिंह रावत के अध्यक्ष बनने के साथ ही इस बोर्ड में लगातार एक के बाद एक कई विवाद सामने आते रहे. ये विवाद बीते 2017 से अब तक जारी है. बोर्ड में नियुक्ति से लेकर इसकी योजनाओं के संचालन तक में सवाल खड़े होते रहे. खास बात यह है कि इन सभी विवादों में कैबिनेट मंत्री हरक सिंह रावत का नाम भी सुनाई देता रहा.
- दरअसल, हरक सिंह रावत ने जब सरकार बनने के बाद साल 2017 में बोर्ड के अध्यक्ष के पद पर कार्यभार संभाला, उसी समय उनके इस तरह पद संभालने पर सवाल खड़े हुए हैं. इस पद पर सचिव श्रम ही दायित्व संभालते रहे हैं, लेकिन साल 2017 में बीजेपी की सरकार बनने और श्रम विभाग हरक सिंह रावत को मिलने के बाद इस महत्वपूर्ण पद को उन्होंने ही संभाल लिया. जिसे नियमों के उल्लंघन के रूप में भी देखा गया.
- इसके बाद यह भी बात कुछ धीमा हुआ ही था कि हरक सिंह रावत ने अपनी करीबी दमयंती को शिक्षा विभाग से प्रतिनियुक्ति पर इस बोर्ड में सचिव का पद दे दिया. इस पर तो जमकर विवाद हुआ और शिक्षा मंत्री अरविंद पांडे और हरक सिंह रावत के बीच प्रतिनियुक्ति के लिए एनओसी दिए बिना श्रम विभाग ने दमयंती को भेजने को लेकर आपसी रस्साकशी भी देखने को मिली. इतने विवाद के बाद भी हरक सिंह रावत ने दमयंती को इस पद पर बनाए रखा, जो आज भी यहां तैनात हैं.
- शुक्रवार को हरक सिंह ने कहा था कि वे 2022 का चुनाव नहीं लड़ना चाहते. उनकी इस घोषणा को कर्मकार कल्याण बोर्ड के अध्यक्ष पद से बाहर हो जाने से के बाद नाराजगी से जोड़ कर देखा गया.
कांग्रेस का सरकार पर हमला.
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कांग्रेस का सरकार पर हमला
देहरादून के रायपुर विधानसभा क्षेत्र में नए आयुष हॉस्पिटल के कार्यक्रम में मंत्री हरक सिंह रावत और स्थानीय विधायक के नहीं पहुंचने पर कांग्रेस ने सरकार पर निशाना साधा है. कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष प्रीतम सिंह ने कहा कि कार्यक्रम में आयुष मंत्री की गैरमौजूदगी से पता चलता है कि सरकार किस राह पर चल रही है. विभागीय मंत्री के साथ ही जिस विधानसभा क्षेत्र में कार्यक्रम हुआ, वहां के स्थानीय विधायक भी कार्यक्रम में शामिल नहीं हुए.
प्रीतम सिंह ने कहा कि जिस तरीके से सीएम काम कर रहे हैं, यह उसका एक छोटा सा उदाहरण है. इससे पता चलता है कि सरकार में कोई समन्वय नहीं है. क्योंकि मंत्रियों और विधायकों की सीएम सुन नहीं रहे हैं. उसी तरह शासन और मंत्रिमंडल में भी कोई तालमेल नहीं है, ऐसे में आम जनता की कौन सुनेगा.