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SC से राहत मिलते ही आक्रामक हुए CM त्रिवेंद्र, स्टिंग प्रकरण पर हरदा को घेरा

सुप्रीम कोर्ट से राहत मिलने के बाद सीएम त्रिवेंद्र सिंह रावत ने फ्रंट फुट पर आकर खेलना शुरू कर दिया है. अब उन्होंने पूर्व सीएम हरीश रावत पर जुबानी प्रहार किया है. उन्होंने कहा है कि हरीश रावत बताएं कि आखिर उनके स्टिंग की क्या सच्चाई है, नहीं तो जनता उनके राज खोल देगी.

CM Trivendra Singh Rawat
सीएम त्रिवेंद्र सिंह रवत

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Published : Oct 30, 2020, 2:23 PM IST

देहरादून:सीबीआई जांच मामले में सुप्रीम कोर्ट से राहत मिलने के बाद सीएम त्रिवेंद्र सिंह रावत ने अपनी चुप्पी तोड़ी है. हाईकोर्ट के आदेशों पर स्टे मिलने के बाद अब मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने भी फ्रंट फुट पर आकर खेलना शुरू कर दिया है. उन्होंने आक्रामक रुख अपनाते हुए विपक्षी नेता और पूर्व सीएम हरीश रावत पर हमला बोला है.

SC से राहत मिलते ही आक्रमक हुए CM त्रिवेंद्र.

गौर हो, उत्तराखंड में मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत को पैसों के लेनदेन के आरोप में सुप्रीम कोर्ट से राहत मिल चुकी है. मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने कहा कि उनके 3 साल के कार्यकाल में कई षड़यंत्र उनके खिलाफ किए गए हैं. कई माफियाओं और भ्रष्टाचारियों ने मिलकर सरकार पर हमला करने का प्रयास किया, लेकिन सरकार पहले दिन से जिस नीति पर चल रही है 5 साल तक उसी नीति पर बनी रहेगी.

त्रिवेंद्र सिंह रावत ने हरीश रावत पर हमला बोलते हुए कहा कि आज हरीश रावत इस मामले में खूब बयानबाजी कर रहे हैं, लेकिन हरीश रावत बताएं कि उनके स्टिंग मामले की क्या सच्चाई है. अब हरीश रावत को इस बात का खुलासा करना चाहिए कि उनकी इस शख्स से क्या साठगांठ हुई है ? नहीं तो जनता इसका खुलासा करेगी.

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क्या है स्टिंग मामला ?

मार्च 2016 में विधानसभा में वित्त विधेयक पर वोटिंग के बाद 9 कांग्रेस विधायकों ने बगावत कर दी थी. जिसके बाद एक निजी न्यूज चैनल ने विधायकों की कथित खरीद फरोख्त का स्टिंग जारी किया गया था. स्टिंग के आधार पर तत्कालीन राज्यपाल कृष्णकांत पॉल ने केंद्र सरकार को स्टिंग मामले की CBI जांच की संस्तुति कर भेज दी थी.

केंद्र ने संविधान के अनुच्छेद 356 का उपयोग करते हुए रावत सरकार को बर्खास्त कर दिया था. बाद में हाईकोर्ट और फिर सुप्रीम कोर्ट से हरीश रावत की सरकार बहाल हो गई थी. उसके बाद कैबिनेट बैठक में स्टिंग प्रकरण की जांच सीबीआई से हटाकर एसआईटी से कराने का निर्णय लिया गया था. तत्कालीन बागी विधायक और वर्तमान में कैबिनेट मंत्री डॉ. हरक सिंह रावत ने कैबिनेट के इस निर्णय को हाईकोर्ट में याचिका दायर कर चुनौती दी थी.

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