देहरादून:टिहरी के प्रभारी जिला समाज कल्याण अधिकारी की अंतरजातीय और अंतरधार्मिक विवाह प्रोत्साहन योजना के लिए आवेदन की जानकारी का प्रेस नोट सुर्खियों में आने के बाद अब विवाद थमने का नाम नहीं ले रहा. हालांकि, यह मामला मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत के संज्ञान में आने के बाद उन्होंने मुख्य सचिव ओमप्रकाश को मामले की जांच के आदेश दिए हैं. साथ ही यह भी जानकारी मांगी है कि आखिर किन परिस्थितियों में यह आदेश जारी किया गया है.
बता दें, साल 1976 में उत्तर प्रदेश अंतजातीय और अंतधार्मिक विवाह को प्रोत्साहित करने के एक नियमावली बनाई गई थी, जिसमें अंतजातीय और अंतधार्मिक विवाह करने वाले दंपत्ति को प्रोत्साहन स्वरूप 10 हजार का नकद पुरस्कार देने की योजना थी, इसके बाद साल 2014 में तत्कालिक मुख्यमंत्री विजय बहुगुणा के शासनकाल में इस योजना के नियम-6 में पुरस्कार की धनराशि को संशोधित कर दिया गया, जिसके तहत अंतरजातीय और अंतधार्मिक विवाह करने वाले दंपत्ति को 50 हजार रुपये तक का नगद पुरस्कार दिए जाने का प्रावधान किया गया था.
शासकीय प्रवक्ता मदन कौशिक ने बताया कि राज्य सरकार धर्म स्वतंत्रता कानून बना चुकी है. ऐसे में इस कानून के बनने के बाद अंतर धार्मिक विवाह प्रोत्साहन अनुदान योजना के शासनादेश का कोई औचित्य नहीं है, क्योंकि यह कानून बनने के बाद ही यह शासनादेश स्वत खत्म हो जाना चाहिए. साथ ही बताया कि मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने मुख्य सचिव ओम प्रकाश को इस मामले की जांच के आदेश दिए हैं अधिकारी ने यह पत्र क्यों जारी किया ?