देहरादून: मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र सिंह रावत ने उत्तराखंड के युवा उद्यमियों से संवाद करते हुए कहा कि हमें स्थानीय संसाधनों को आधार मानकर आगे बढ़ना होगा. इसके हमें आत्मनिर्भर बनने में सुविधा होगी, क्योंकि प्रकृति ने देवभूमि उत्तराखंड को बहुत कुछ दिया है. प्रदेश जैव विविधताओं से भरा पड़ा है. हिमालयी एवं तराई क्षेत्र के साथ ही राज्य के सम्यक विकास के लिए अनेक संपदाएं हैं.
बता दें, बीते दिन सीएम त्रिवेंद्र सिंह रावत वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिये युवा उद्यमियों को संबोधित कर रहे थे. इस मौके पर सीएम ने कहा कि स्वरोजगार की दिशा में राज्य सरकार द्वारा अनेक कार्य किये जा रहे हैं. इस दिशा में सोचने की जरूरत है कि हम अपने साथ कितने और लोगों को रोजगार उपलब्ध करा सकते हैं ? मुख्यमंत्री ने कहा कि इन्वेस्टर समिट के दौरान राज्य में 01 लाख 25 हजार करोड़ रुपये के एमओयू साइन हुए हैं, जिसमें से 25 हजार करोड़ रुपये के कार्यों की ग्राउंडिंग हो चुकी है.
उन्होंने कहा कि राज्य बनने से औद्योगिक क्षेत्र में 2017 तक राज्य में 40 हजार करोड़ रुपये का इन्वेस्टमेंट हुआ, जबकि पिछले साढ़े तीन सालों में 25 हजार करोड़ रुपये का इन्वेस्टमेंट हो चुका है. राज्य में चीड़ की पत्तियों से बिजली एवं चारकोल बनाने के कार्य शुरू किये गये हैं. उत्तराखंड के वन क्षेत्र में 27 प्रतिशत क्षेत्र में चीड़ होता है. ऐसे में चीड़ की पत्तियों से वनाग्नि की समस्याएं भी बहुत रहती है. ऐसे में चीड़ के सदुपयोग एवं स्थानीय स्तर पर लोगों को रोजगार के अवसर बढ़ाने में यह पॉलिसी काफी कारगर होगी. इससे 40 हजार लोगों को रोजगार दिया जा सकता है और पर्यावरणीय लाभ भी होगा.