देहरादून: उत्तरकाशी सिलक्यारा टनल हादसा का आज सातवां दिन है. अभी भी टनल के अंदर फंसे 41 मजदूरों को निकालने की जद्दोजहद चल रही है. अमेरिकन ऑगर मशीन के बाद अब इंदौर से एक अन्य ऑगर मशीन लाई गई है. तीन ट्रकों के माध्यम से मशीन सिलक्यारा टनल पहुंच चुकी है. वहीं, शनिवार को पीएमओ की टीम ने भी घटना स्थल का जायजा लिया. जबकि सेना ने भी मजदूरों के रेस्क्यू ऑपरेशन पर मोर्चा संभाल लिया है. दूसरी तरफ उत्तराखंड सरकार ने टनल प्रकरण पर नोडल अधिकारी नियुक्त कर दिया है.
उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी के निर्देश पर राज्य के अधीन कार्यरत विभिन्न केंद्रीय संस्थानों से समन्वय स्थापित करने के लिए वरिष्ठ आईएएस अधिकारी डॉ. नीरज खैरवाल को नोडल अधिकारी नियुक्त किया है. डॉक्टर खैरवाल नोडल अधिकारी के रूप में उत्तराखंड राज्य के अंतर्गत कार्यरत विभिन्न केंद्रीय संस्थानों से समन्वय स्थापित कर उनके द्वारा किये जा रहे कार्यों की निगरानी करेंगे. इसके साथ ही आवश्यकतानुसार राज्य की ओर से सहयोग एवं सुझाव भी केंद्रीय संस्थानों को भेजे जाएंगे.
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गौरतलब है कि उत्तरकाशी के सिलक्यारा में निर्माणाधीन टनल में 12 नवंबर की सुबह करीब 5:30 बजे लैंडस्लाइड होने के कारण 7 राज्यों के 41 मजदूर फंस गए. पिछले 7 दिनों से मजदूरों को निकालने का रेस्क्यू ऑपरेशन चल रहा है. ये टनल ऑल वेदर रोड परियोजना के तहत तैयार की जा रही है. टनल की लंबाई तकरीबन साढ़े 4 किमी है. टनल का निर्माण 2018 में शुरू हुआ था. टनल के एंट्री द्वार से 200 मीटर पर लैंडस्लाइड हुआ है. लैंडस्लाइड के कारण करीब 60 मीटर तक मलबा आ चुका है. जबकि मरीज जहां फंसे हुए हैं, उनके पास 2000 मीटर तक का क्षेत्र है. इस टनल के निर्माण के बाद गंगोत्री धाम से यमुनोत्री धाम की दूरी 26 किलोमीटर कम हो जाएगी.
आक्रोश में मजदूर: सिलक्यारा सुरंग में फंसे मजदूरों को बाहर निकालने में देरी से साथी मजदूरों में अब आक्रोश पनप रहा है. मजदूरों ने सुरंग निर्माण से जुड़ी एनएचआईडीसीएल और निर्माण कंपनी नवयुगा के खिलाफ आक्रोश व्यक्त किया. उन्होंने कहा कि कंपनी गरीब मजदूरों को नहीं बचाना चाहती है. इससे मजदूरों को बाहर निकालने में देरी की जा रही है. अंदर फंसे उनके साथियों का हौसला टूट रहा है और वह रो रहे हैं. अंदर फंसे साथियों की चिंता कर रहे कुछ मजदूर रोने लगे. जिन्हें अधिकारियों ने ढांढस बंधाया.