नई दिल्ली/देहरादून: उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी (CM Pushkar Singh Dhami) दिल्ली दौरे पर हैं. मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने दिल्ली में शनिवार को पहले प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (PM Narendra Modi) और राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद (Ram Nath Kovind) से मुलाकात की. इसके बाद वे केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह (Amit Shah) से मिले. सीएम धामी ने गृहमंत्री अमित शाह से नीती घाटी (Niti Valley) और नेलांग घाटी (Nelang Valley) को इनर लाइन प्रतिबंध (inner line restriction uttarakhand) से हटाने का अनुरोध किया.
इसके अलावा सीएम धामी ने केंद्रीय गृहमंत्री (Amit Shah) से उत्तराखंड के लिए दो एयर एंबुलेंस (air ambulance) और गैरसैंण (Gairsain) में आपदा प्रबन्धन शोध संस्थान की स्थापना का करने का आग्रह किया है. इसके साथ ही आपदा प्रभावित गांवों का विस्थापन एसडीआरएफ निधि के अन्तर्गत अनुमन्य किये जाने के साथ ही आपदा में लापता व्यक्तियों को मृत घोषित किये जाने की स्थायी व्यवस्था स्थापित किये जाने का भी अनुरोध किया.
पढ़ें-उत्तराखंड में मिशन AK70 को कल धार देंगे दिल्ली से CM, फ्री बिजली पर बोलेंगे हल्ला
मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने नई दिल्ली में केन्द्रीय गृहमंत्री अमित शाह (Pushkar Singh Dhami meet Amit Shah) से शिष्टाचार भेंट की और राज्य से संबंधित विभिन्न बिंदुओं पर चर्चा की. मुख्यमंत्री ने केंद्रीय गृहमंत्री से अनुरोध किया कि उत्तराखंड में समय-समय पर आयोजित होने वाले विश्व प्रसिद्ध मेलों और पर्वों पर तैनात होने वाले केन्द्रीय सुरक्षा बलों की तैनाती व व्यवस्थापन पर होने वाले व्यय को पूर्वोत्तर राज्यों (विशेष श्रेणी) की भांति (केन्द्रांश:राज्यांश ) 90:10 के अनुपात में भुगतान की व्यवस्था निर्धारित की जाए.
इनर लाइन पर चर्चा: मुख्यमंत्री ने राज्य के सीमित आर्थिक संसाधनों के दृष्टिगत उत्तराखण्ड राज्य में समय-समय पर तैनात केन्द्रीय सुरक्षा बलों की तैनाती के फलस्वरूप लम्बित देय धनराशि रुपए 47.29 करोड़ को अद्यतन विलम्ब शुल्क सहित छूट प्रदान करने का भी अनुरोध किया. मुख्यमंत्री ने कहा कि उत्तराखंड से नेपाल और चीन की सीमा लगी है, जहां स्थित गांव दुर्गम भौगोलिक परिस्थिति व आर्थिक अवसरों की कमी के कारण वीरान हो रहे हैं. इन क्षेत्रों में इनर लाइन प्रतिबंध हटाये जाने से पर्यटन के अपार अवसर खुलेंगे और क्षेत्र में आर्थिक गतिविधियां बढ़ने से वहां से पलायन रुकेगा. इससे संवेदनशील क्षेत्रों में बेहतर सीमा प्रबन्धन में भी सहायता मिलेगी.