देहरादून:मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी (Chief Minister Pushkar Singh Dhami) ने पुलिस कर्मियों की ग्रेड पे (grade pay) को लेकर अपील की है. सीएम ने पुलिस कर्मियों से सरकार का सहयोग करने को कहा है. सीएम पुष्कर सिंह धामी ने साफ किया कि उनकी सरकार पुलिस कर्मियों की मांग को लेकर गंभीर है. हमेशा पुलिसकर्मियों के लिए सहयोग को मौजूद है. बता दें कि धामी सरकार पर पुलिस कर्मियों का दबाव बढ़ता जा रहा है.
एक दिन पहले ही रुद्रपुर और देहरादून में पुलिसकर्मियों के परिजनों ने सड़कों पर उतकर अपना विरोध जाहिर किया है. उन्होंने दिखाया है कि ग्रेड पे 4600 की मांग को लेकर पुलिसकर्मी लामबंद हो चुके हैं. हालांकि, इससे पहले पुलिस महानिदेशक समेत एसएसपी देहरादून भी पुलिसकर्मियों से अपील कर चुके थे. लेकिन इसका असर पुलिसकर्मियों पर नहीं हुआ और उनके परिवार जनों ने 4600 ग्रेड पे की मांग के साथ सड़कों पर प्रदर्शन किया. इसी स्थिति को देखते हुए अब मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने भी पुलिसकर्मियों से अपील करते हुए कहा है कि उनकी सरकार हमेशा पुलिस कर्मियों की मांगों को लेकर गंभीर रही है.
ग्रेड पे विवाद पर बोले सीएम धामी. पढ़ें:Kargil Diwas: सीएम धामी की घोषणा, शहीदों के परिवार को मिलेंगे ₹10 हजार, बच्चों को कोचिंग में मदद
इसी कारण उन्होंने शपथ लेने के फौरन बाद की गई कैबिनेट में उनकी मांग को लेकर सब कमेटी का गठन किया था. एसएमएस कमेटी की रिपोर्ट आने के बाद कैबिनेट में इस मामले का फैसला ले लिया जाएगा, ऐसे में पुलिस कर्मियों को संयम बरतना चाहिए और अनुशासन को भी कायम रखना चाहिए.
क्या है 4600 ग्रेड-पे मामला: सरकारी सेवा में पहले 10 वर्ष, 16 वर्ष और 26 वर्ष की सेवा पर प्रमोशन दी जाती थी. प्रमोशन न होने की स्थिति में पुलिसकर्मियों को उस पद का ग्रेड वेतन दिया जाता था. छठे वेतनमान के बाद अब 10 वर्ष, 20 वर्ष और 30 वर्ष में पदोन्नति देने का प्रविधान किया गया है. इसमें अंतर यह है कि अब प्रमोशन न होने पर अगले पद का वेतनमान नहीं बल्कि अगला ग्रेड वेतन दिया जाएगा. पुलिस के जवानों का पहला ग्रेड वेतन 2400 का है. प्रमोशन न होने की स्थिति में उन्हें अगला ग्रेड वेतन 2800 रुपए का मिलेगा, जो पहले 4600 रुपए था. ऐसे में पुलिसकर्मी इसी ग्रेड वेतन को दिए जाने की मांग कर रहे हैं.
बता दें, उत्तराखंड पुलिस के जवान इस समय 4600 ग्रेड पे को लेकर आक्रोशित हैं. अनुशासित बल होने के नाते पुलिसकर्मी स्वयं तो आंदोलन नहीं कर रहे हैं. लेकिन, उनके परिजन इस आंदोलन की कमान संभाले हुए हैं.