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सीएम त्रिवेंद्र ने 15वें वित्त आयोग के अध्यक्ष से की मुलाकात, आपदा राहत निधि बढ़ाने पर जताया आभार - देहरादून हिंदी न्यूज

मुख्यमंत्री ने 15वें वित्त आयोग के अध्यक्ष एनके सिंह से नई दिल्ली में मुलाकात की. बता दें, वित्त आायोग ने डिवोलेशन फार्मूला में वनों का अंश 7.50 प्रतिशत से बढ़ाकर 10 प्रतिशत कर दिया है. जिस पर सीएम ने उत्तराखंड की जनता की ओर से आभार व्यक्त किया.

Dehradun Hindi News
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Published : Feb 6, 2020, 7:29 PM IST

देहरादून:मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने 15वें वित्त आयोग के अध्यक्ष एनके सिंह से नई दिल्ली में शिष्टाचार भेंट की. इस दौरान मुख्यमंत्री ने एनके सिंह को 15 वें वित्त आयोग द्वारा उत्तराखंड के दृष्टिकोण को समझते हुए राज्य की मांगों के अनुरूप संस्तुतियां किए जाने पर उत्तराखंड की जनता की ओर से आभार व्यक्त किया.

इस दौरान मुख्यमंत्री ने कहा कि राजस्व घाटा अनुदान मिलने से राज्य के वित्तीय प्रबंधन में सहायता मिलेगी. इससे विकासात्मक कार्यों में तेजी आएगी. उत्तराखंड आपदा की दृष्टि से संवेदनशील राज्य है. यहां प्रतिवर्ष विभिन्न दैवीय आपदाओं से करोड़ों का नुकसान होता है.

इसका राज्य के संसाधनों पर भी प्रभाव पड़ता है. वित्त आयोग ने राज्य के इस पक्ष को समझा और आपदा राहत निधि के अंश में वृद्धि करते हुए लगभग ₹1041 करोड़ दिया, इससे आपदा प्रबंधन में सुधार आएगा.

उत्तराखंड बहुमूल्य पर्यावरणीय सेवाएं देता है, लेकिन प्रदेश को विकासात्मक कार्यों में वन संबंधी अवरोधों का सामना करना पड़ता है. राज्य की लम्बे समय से मांग थी कि उत्तराखंड जैसे राज्यों (पर्यावरण संरक्षण में योगदान) को इसके लिए प्रोत्साहित किया जाना चाहिए. वित्त आायोग ने डिवोलेशन फार्मूला में वनों का अंश 7.50 प्रतिशत से बढ़ाकर 10 प्रतिशत कर दिया है, जिससे राज्य के अंश में वृद्धि हुई है. उत्तराखंड के शहरी स्थानीय निकायों एवं पंचायतीराज संस्थाओं के अनुदान में भी 148 करोड़ रुपए की वृद्धि हुई है.

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गौर हो कि 16 अक्टूबर 2018 को 15वें वित्त आयोग के अध्यक्ष एनके सिंह की अध्यक्षता में देहरादून सचिवालय में वित्त आयोग की बैठक आयोजित की गई थी. जिसमें मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र सिंह रावत ने वित्त आयोग से कई बिंदुओं पर चर्चा की थी, साथ ही राज्य की वित्तीय स्थिति पर प्रस्तुतिकरण भी दिया गया था.

इन बिंदुओं पर चर्चा

  • वित्त आयोग से राज्य की कठिन भौगोलिक परिस्थितियों के दृष्टिगत विशेष सहायता.
  • राज्य की आपदा संवेदनशीलता.
  • पेयजल व अन्य परियोजनाओं की अधिक लागत.
  • राज्य सरकार के जल संरक्षण कार्यक्रमों को चलाने.
  • राज्य का ईको सर्विसेज व कार्बन क्रेडिट में योगदान.
  • राजस्व डेफिसिट ग्रान्टस की हानि व 14वें वित्त आयोग का राज्य की वितीय स्थिति पर दुष्प्रभाव.

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