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सीएम धामी का ऐलान, सत्ता में आते ही उत्तराखंड में लागू करेंगे यूनिफॉर्म सिविल कोड

उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने बड़ा ऐलान किया है. उन्होंने आज कहा कि बीजेपी के सत्ता में वापसी करते ही यूनिफॉर्म सिविल कोड लागू किया जाएगा. आज उत्तराखंड में चुनाव प्रचार का आखिरी दिन है. उत्तराखंड में 14 फरवरी को मतदान है.

CM Pushkar Singh Dhami
सीएम पुष्कर सिंह धामी

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Published : Feb 12, 2022, 10:58 AM IST

Updated : Feb 12, 2022, 11:43 AM IST

खटीमा: उत्तराखंड के सीएम पुष्कर सिंह धामी ने कहा है कि बीजेपी सरकार सत्ता में आते ही उत्तराखंड के लिए यूनिफॉर्म सिविल कोड का ड्राफ्ट तैयार करेगी. यूनिफॉर्म सिविल कोड सभी के लिए समान होगा.

क्या कहा सीएम धामी ने ? : समान नागरिक संहिता यानी यूनिफॉर्म सिविल कोड का मसला फिर से गर्माता जा रहा है. इस मामले में सीएम पुष्कर सिंह धामी ने बड़ा बयान जारी किया है. सीएम धामी ने कहा कि उत्तराखंड में उनकी सरकार दोबारा बनती है तो शपथ ग्रहण के तुरंत बाद, नई भाजपा सरकार राज्य में समान नागरिक संहिता का मसौदा तैयार करने के लिए एक समिति बनाएगी. यह समिति सभी लोगों के लिए विवाह, तलाक, भूमि-संपत्ति और विरासत के संबंध में समान कानून प्रदान करेगी, चाहे उनकी आस्था कुछ भी हो. सीएम के बयान के बाद प्रदेश की राजनीति गर्माना तय है.

सीएम पुष्कर सिंह धामी का ऐलान

ये लोग होंगे कमेटी में: CM धामी ने कहा कि बीजेपी सरकार सेवानिवृत्तों, समाज के प्रबुद्धजनों और अन्य स्टेक होल्डरों की एक कमेटी गठित करेगी. ये कमेटी उत्तराखंड के लिए यूनिफॉर्म सिविल कोड का मसौदा तैयार करेगी. ये यूनिफॉर्म सिविल कोड संविधान निर्माताओं के सपनों को पूरा करने की दिशा में एक अहम कदम होगा और संविधान की भावनाओं को मूर्त रूप देगा.

मुख्यमंत्री धामी ने कहा कि ये भारतीय संविधान के आर्टिकल 44 के दिशा में भी एक प्रभावी कदम होगा, जो देश के सभी नागरिकों के लिए समान नागरिक संहिता की संकल्पना प्रस्तुत करता है. उन्होंने आगे कहा कि सर्वोच्च न्यायालय ने भी समय-समय पर इसे लागू करने पर बल्कि जोर ही नहीं दिया, बल्कि कई बार इस दिशा में कदम न बढ़ाने को लेकर नाराजगी जाहिर की है. साथ ही इस महत्वपूर्ण विषय पर निर्णय लेने पर गोवा राज्य से भी प्रेरणा मिलेगी, जिसने यूनिफॉर्म सिविल कोड लागू कर देश में उदाहरण पेश किया है.

सीएम धामी ने कहा कि गोवा का उदाहरण सुप्रीम कोर्ट के माननीय जजों द्वारा भी दिया गया है. उत्तराखंड में जल्द से जल्द यूनिफॉर्म सिविल कोड लागू करने से राज्य के सभी नागरिकों के समान अधिकारों को बल मिलेगा. इससे राज्य में सामाजिक समरसता बढ़ेगी. जेंडर जस्टिस को बढ़ावा मिलेगा, महिला सशक्तीकरण को ताकत मिलेगी और साथ ही देवभूमि की असाधारण आध्यात्मिक, सांस्कृतिक को पहचान मिलेगी और यहां के पर्यावरण को सुरक्षित रखने में भी मदद मिलेगी. सीएम ने कहा कि उत्तराखंड यूनिफॉर्म सिविल कोड दूसरे राज्यों के लिए भी एक उदाहरण के रूप में सामने आएगा.

हिजाब विवाद के बीच मास्टर स्ट्रोक ? :इन दिनों देश में हिजाब को लेकर विवाद चल रहा है. कर्नाटक के उडुपी के कॉलेज से उठा हिजाब का विवाद चुनावी मंचों पर नेताओं के भाषणों में भी झलक रहा है. उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी का चुनाव से दो दिन पहले यूनिफॉर्म सिविल कोड लाने वाला बयान मास्टर स्ट्रोक भी साबित हो सकता है. बयान की टाइमिंग भी तब की है जब उत्तराखंड में आज शाम पांच बजे चुनाव प्रचार खत्म हो जाएगा. यानी आज दिन भर अब इस पर चर्चा होनी ही होनी है.

हिजाब हर चुनावी मंच पर पहुंचा:कर्नाटक से उठा हिजाब विवाद उत्तराखंड और यूपी के चुनाव में भी एंट्री कर चुका है. यूपी की राजधानी लखनऊ में एक पत्रकार ने कांग्रेस नेता प्रियंका गांधी से जब हिजाब वाले प्रकरण पर उनका रिएक्शन मांगा तो वो भड़क गई थीं. उन्होंने कहा था कि कोई महिला हिजाब पहने या बिकिनी किसी को कोई ऐतराज नहीं होना चाहिए. प्रियंका गांधी ने सवाल पूछने वाले पत्रकार से उनका स्कार्फ उतारने को कह दिया था.

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क्या है यूनिफॉर्म सिविल कोड:समान नागरिक संहिता यानी यूनिफॉर्म सिविल कोड का अर्थ होता है भारत में रहने वाले हर नागरिक के लिए एक समान कानून होना. चाहे वह किसी भी धर्म या जाति का क्यों न हो. समान नागरिक संहिता में शादी, तलाक और जमीन जायजाद के बंटवारे में सभी धर्मों के लिए एक ही कानून लागू होता है. यूनियन सिविल कोड का अर्थ एक निष्पक्ष कानून है, जिसका किसी धर्म से कोई ताल्लुक नहीं है.

देश में क्यों है यूनिफॉर्म सिविल कोड की जरूरत:अलग-अलग धर्मों के अलग कानून से न्यायपालिका पर बोझ पड़ता है. समान नागरिक संहिता लागू होने से इस परेशानी से निजात मिलेगी. अदालतों में सालों से लंबित पड़े मामलों के फैसले जल्दी होंगे. शादी, तलाक, गोद लेना और जायजाद के बंटवारे में सबसे लिए एक जैसा कानून होगा. फिर चाहे वो किसी भी धर्म का क्यों न हो. वर्तमान में हर धर्म के लोग इन मामलों का निपटारा अपने पर्सनल लॉ यानी निजी कानून के तहत करते हैं.

Last Updated : Feb 12, 2022, 11:43 AM IST

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