देहरादून: उत्तरकाशी के सिलक्यारा टनल में हुए भूधंसाव के चलते पिछले 5 दिनों से मजदूर टनल में फंसे हुए हैं. मजदूरों को टनल से बाहर निकलने के लिए आधुनिक तकनीकी का इस्तेमाल किया जा रहा है. सरकार प्राथमिकता के आधार पर टनल में फंसे लोगों को निकलने की कवायद में जुटी हुई है.
अब सुरंग निर्माण कार्यों की समीक्षा खुद करेगी सरकार धामी सरकार का बड़ा फैसला: इसी बीच अब उत्तराखंड सरकार ने इस हादसे से सबक लेते हुए बड़ा निर्णय लिया है. इस निर्णय के तहत भविष्य में होने वाले टनल निर्माण कार्यों की सरकार खुद समीक्षा करेगी. मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने कहा कि उत्तरकाशी के सिलक्यारा टनल में लगातार फ्रेश मलबा आ रहा है. इसके चलते राहत बचाव कार्यों में काफी दिक्कतें भी आ रही हैं. हालांकि अब नई तकनीकी की मशीन वायुसेना के माध्यम से वहां पहुंचाई गयी है, जो मलबे में ड्रिल करने का काम शुरू कर चुकी है. यह अत्याधुनिक मशीन 5 से 7 मीटर तक ड्रिल कर चुकी है और हर घंटे 5 से 10 मीटर तक ड्रिल करेगी. इसी बीच भारत सरकार के केंद्रीय राज्य मंत्री वीके सिंह भी वहां पहुंचे थे. उन्होंने सिलक्यारा टनल में चल रहे रेस्क्यू ऑपरेशन का निरीक्षण किया.
उत्तरकाशी टनल हादसे से लिया सबक अब टनल निर्माण कार्यों की समीक्षा सरकार करेगी: वर्तमान समय में तकनीकी विशेषज्ञ, तकनीकी चीजों पर भी विशेष ध्यान देते हुए तमाम जरूरी दिशा निर्देश दे रहे हैं. सीएम ने कहा कि टनल में जो लोग फंसे हुए हैं, उनके लिए शासन-प्रशासन की ओर से खाने पीने समेत तमाम जरूरी सामानों की व्यवस्थाएं कराई जा रही हैं. ताकि उनको किसी भी प्रकार की दिक्कत ना हो. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भी खुद राहत और बचाव कार्यों की जानकारियां लेने के साथ ही समीक्षा कर रहे हैं. पीएमओ स्तर से भी लगातार सभी को निर्देश दिए जा रहे हैं ताकि जो सभी एजेंसियां और तकनीकी विशेषज्ञ रेस्क्यू के कार्य में लगे हैं, वो जरा भी लापरवाही न करें.
सिलक्यारा में रेस्क्यू ऑपरेशन जारी है सिलक्यारा में जारी है रेस्क्यू ऑपरेशन: भारत सरकार के एनएचएआईडीसीएल के माध्यम से यह काम किया जा रहा है. इस सुरंग को बनाने का कार्य अंतिम चरण में था. क्योंकि करीब 400 मीटर कार्य भी बचा हुआ था. इसी दौरान भूधंसाव की घटना हुई है. टनल निर्माण कार्यों की समीक्षा कार्यदाई संस्था ही कर रही है. लेकिन भविष्य में जितने भी टनल और अन्य निर्माण कार्य होंगे उनकी अब सरकार समीक्षा करेगी. दरअसल उत्तराखंड जैसे पर्वतीय राज्य में टनल की आवश्यकता है. वर्तमान में, अभी राज्य सरकार सभी शहरों की बेयरिंग कैपेसिटी की समीक्षा कर रही है और अब इसकी भी समीक्षा की जाएगी.
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