देहरादून:सिटी पेट्रोलिंग यूनिट (City Patrolling Unit) के गठन को लेकर आरटीआई से मांगी गई जानकारी से अहम खुलासा हुआ है. आरटीआई एक्टिविस्ट अधिवक्ता विकेश नेगी ने दावा किया है कि उन्होंने सूचना के अधिकार से जो जानकारी पुलिस मुख्यालय से मांगी थी, उसमें यह बताया गया है कि सीपीयू (CPU) गठन को लेकर अब तक कोई शासनादेश जारी नहीं हुआ है. ऐसे में सवाल उठ रहा है कि पुलिस विभाग में सीपीयू अवैध रूप से पिछले 7 वर्षों से सड़कों पर चालान, जुर्माना वसूलने का काम कर रही है.
आरटीआई एक्टिविस्ट अधिवक्ता विकेश सिंह नेगी के मुताबिक जब सीपीयू को लेकर कोई शासनादेश जारी ही नहीं हुआ, तो सीपीयू चालान, जुर्माना वसूली की श्रेणी में कैसे आ सकती है? अधिवक्ता विकेश नेगी ने इस मामले में नैनीताल हाईकोर्ट में जनहित याचिका दाखिल करने का भी दावा किया है.
आरटीआई में खुलासा:अधिवक्ता विकेश नेगी के अनुसार पुलिस महानिदेशक कार्यालय से कुछ सवालों के जवाब मांगे गए. जिसमें पहले सवाल का जवाब मिला कि सीपीयू का गठन 2013 में किया गया था. इसका गठन डीजीपी के कार्यालय द्वारा किया गया है. सीपीयू का मुख्य काम यातायात व्यवस्था को सुचारू रखना, स्ट्रीट क्राइम व चेन स्नेचिंग पर अंकुश लगाना और यातायात का उल्लंघन करने वाले वाहनों का चालान कर उनके खिलाफ कार्रवाई करना है. सीपीयूकर्मी जनपद के वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक के प्रशासनिक नियंत्रण के अधीन आते हैं. सीपीयू जनपद पुलिस द्वारा चालान वसूल कर इसकी धनराशि राजकोष में जमा कराई जाती है.
पढ़ें-मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ से मिले सीएम धामी, बैठक में 21 साल पुराने मसले हल होने की उम्मीद
भ्रम की स्थिति:आरटीआई एक्टिविस्ट विकेश नेगी ने इस बात का भी खुलासा किया है कि पुलिस द्वारा काटे गए चालान को परिवहन विभाग के पास जमा कराया जाता है, जबकि पुलिस का कहना है कि यह राजकोष में जमा कराया जाता है. ऐसे में सूचना को लेकर भ्रम की स्थिति भी है. विकेश सिंह नेगी का कहना है कि पुलिस एक्ट में इस सीपीयू की वर्दी का कहीं को जिक्र नहीं है. इसका सीधा मतलब है कि यह पुलिस एक्ट के बाहर काम करते हैं. इसके साथ ही उन्होंने कहा कि सीपीयू को मिलने वाली सुविधाओं पर खर्च किया जाने वाला बजट किस निधि से आ रहा है. इसकी भी कोई जानकारी नहीं दी जा रही है.
सिटी पेट्रोल यूनिट की कार्यशैली पर देहरादून निवासी अधिवक्ता रजत दुआ ने भी सवाल उठाए हैं. उनका कहना है कि जिस मकसद से सीपीयू का गठन आज से 8 साल पहले किया गया था. उसके इर्द-गिर्द भी यह यूनिट काम नहीं कर रही है. अधिवक्ता दुआ के मुताबिक सीपीयू का गठन महिला और बाल अपराध रोकने के साथ ही स्ट्रीट क्राइम पर लगाम लगाने का दावा किया गया था. लेकिन आज तक इस ओर कोई पुलिसिंग नजर नहीं आती हैं. ऐसे में जनता सीपीयू की हरकतों से अक्सर परेशान है.
6 शहरों में तैनात है CPU की टीमें: उत्तराखंड ट्रैफिक निदेशालय डीआईजी मुख्तार मोहसिन से मिली जानकारी के मुताबिक राज्य के 6 शहरों में सिटी पेट्रोल यूनिट (CPU) तैनात है. इसमें देहरादून, हरिद्वार, रुड़की, काशीपुर रुद्रपुर और हल्द्वानी शामिल है. इन सभी 6 शहरों में तैनात सिटी पेट्रोल यूनिट के रूप 180 पुलिसकर्मी शामिल हैं. ट्रैफिक टीआई के मुताबिक अभी 92 पुलिसकर्मी 3 सप्ताह की ट्रेनिंग पीटीसी नरेंद्र नगर में ले रहे हैं. प्रशिक्षण समाप्त होने के उपरांत सभी 92 पुलिसकर्मी 6 शहरों में तैनात सीपीयू यूनिट में बराबर-बराबर भेज दिए जाएंगे. उन्होंने बताया कि सिटी पेट्रोल यूनिट में शामिल होने वाले पुलिसकर्मी आर्म्ड पुलिस, सिविल पुलिस, PAC और IRB इकाइयों से चुने जाते हैं.