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राजधानी में सिटी बस को लेकर सस्पेंस बरकरार, यूनियन ने रखी ये शर्त

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Published : May 20, 2020, 6:31 PM IST

Updated : May 20, 2020, 10:14 PM IST

सिटी बस यूनियन ने सरकार से मांग की है कि अगर सिटी बस को चलने की मंजूरी मिलती है तो उतना ही इंश्योरेंस लिया जाय, जितनी सवारी की अनुमति हो.

देहरादून
देहरादून

देहरादून: लॉकडाउन-4 में लगभग सभी व्यवसायों को राहत तो मिल गई लेकिन, शहरों में दौड़ने वाली सिटी बसों को अब तक चलने की अनुमति नहीं मिल पाई है. सिटी बस यूनियन का कहना है कि अगर अनुमति मिलने के बाद सिटी बस चालकों को 50 प्रतिशत ही सवारी बैठानी होगी तो उनकी सरकार से कुछ मांगे हैं. जिसके चलते आज सिटी बस यूनियन के अध्यक्ष ने एआरटीओ द्वारका प्रसाद से मुलाकात की और अपनी मांगों का ज्ञापन सौंपा.

सिटी बस यूनियन ने रखी शर्त

यूनियन के अध्यक्ष विजय वर्धन डंडियाल की मांग है कि सरकार के आदेश अनुसार परिवहन सेवा शुरू करने से हमारे इंश्योरेंस को 6 महीने आगे बढ़ाया जाए और सरकार द्वारा जितनी सवारी पर सोशल डिस्टेंसिंग का पालन करने को कहा जाएगा, हमसे उतनी ही सवारी का इंश्योरेंस प्रीमियम लिया जाए.

उन्होंने कहा कि यदि इंश्योरेंस कंपनियों द्वारा हमसे पूरी सीट का इंश्योरेंस लिया गया तो हम कोर्ट जाने से भी गुरेज नहीं करेंगे. महानगर सिटी बस यूनियन के अध्यक्ष विजय वर्धन डंडियाल ने बताया कि सोशल डिस्टेंसिंग में यदि राज्य सरकार द्वारा 50% सीट खाली करने का आदेश आता है तो हमें 50% खाली सीटों पर मुआवजा दिया जाए.

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इसके साथ ही सरकारी बैंक या प्राइवेट बैंकों से लिए गए ऋण को 6 माह के लिए आगे बढ़ाया जाए. उसमें लॉकडाउन के समय की पेनल्टी को माफ किया जाए. सिटी बसों में अगर स्कूली छात्र या कुछ यात्रियों द्वारा जबरदस्ती सोशल डिस्टेंसिंग के मानकों का उल्लंघन किया जाता है तो बस के चालक, परिचालक या वाहन स्वामी पर जुर्माना या मुकदमा न किया जाए. साथ ही 3 महीने से चालक-परिचालकों के बेरोजगार होने से उन्हें नकद राशि का आर्थिक पैकेज दिया जाए.

Last Updated : May 20, 2020, 10:14 PM IST

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