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सिटीजन फॉर ग्रीन दून संस्था ने जौलीग्रांट एयरपोर्ट विस्तारीकरण को बताया हानिकारक

सिटीजन फॉर ग्रीन दून संस्थान ने देहरादून एयरपोर्ट के विस्तारीकरण लिए हानिकारक बताया है. दरअसल, देहरादून एयरपोर्ट का विस्तार होना है और इस दौरान करीब 10 हजार परिपक्व पेड़ काटे जाएंगे.

expansion of Dehradun airport
देहरादून एयरपोर्ट

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Published : Oct 18, 2020, 4:36 PM IST

Updated : Oct 18, 2020, 5:31 PM IST

देहरादून: ऑल वेदर रोड निर्माण में पेड़ों की कटान को लेकर सुप्रीम कोर्ट जाने वाली सिटीजन फॉर ग्रीन दून संस्था ने अब देहरादून एयरपोर्ट पर के विस्तार को भी पर्यावरण के लिए हानिकारक बताया है. बता दें, हाल ही में प्रदेश में हवाई सेवाओं के विस्तार और जॉलीग्रान्ट एवं पंतनगर एयरपोर्ट का अंतरराष्ट्रीय मानकों के अनुसार विस्तार किये जाने को लेकर केंद्रीय नागरिक उड्डयन सचिव प्रदीप खरोला ने मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र सिंह रावत से भेंट की थी. इस दौरान जॉलीग्रांट एयरपोर्ट के विस्तार एवं एयरपोर्ट पर हवाई जहाजों की नाइट पार्किंग की व्यवस्था से संबंधित विषय पर विस्तार से चर्चा की थी.

जॉलीग्रांट एयरपोर्ट को 2100 मीटर से बढ़ाकर अंतरराष्ट्रीय मानक के अनुसार 2700 मीटर करने की कवायद का पर्यावरण संरक्षण करने वाली संस्था सिटीजन फॉर ग्रीन दून विरोध किया है. संस्था के सदस्यों का कहना है कि देहरादून एयरपोर्ट के विस्तार की जद में तकरीबन 10 हजार ऐसे पेड़ आ रहे हैं जो कि पूरी तरह से परिपक्व हैं और ऑक्सीजन दे रहे हैं.

देहरादून एयरपोर्ट विस्तार को बताया पर्यावरण के लिए हानिकारक.

एयरपोर्ट विस्तार की जद में पूरा इको सिस्टम

संस्था के सदस्यों का कहना है कि एयरपोर्ट विस्तार की जद में केवल 10 हजार पेड़ ही नहीं बल्कि पूरा एक इकोसिस्टम आ रहा है. ऐसा होने से हाथी, हिरण और लेपर्ड सहित अन्य वन्यजीवों के लिए खतरा है. उनका कहना है कि यह संतुलित विकास नहीं बल्कि राक्षसी विकास है. हमें यह सोचना होगा कि अगर हम पर्यावरण संरक्षण नहीं करेंगे तो कौन करेगा ?

देहरादून में अंतरराष्ट्रीय एयरपोर्ट की जरूरत नहीं- संस्था

देहरादून एयरपोर्ट के विस्तार का विरोध कर रहे हैं लोगों का कहना है कि उत्तराखंड जैसे छोटे राज्य में अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डा बनाने की कोई जरूरत नहीं है. क्योंकि उत्तराखंड प्राकृतिक संसाधनों वाला राज्य है. जब पंतनगर में एयरपोर्ट बनाया जा रहा है तो दूसरा क्यों? संस्था का कहना है कि उत्तराखंड में लोग प्रकृति को निहारने आते हैं और उत्तराखंड की सरकार इसी प्राकृतिक संपदा को क्षत-विक्षत करने पर तुली है.

देश के अन्य अंतराष्ट्रीय हवाई अड्डों का करें आंकलन- संस्था

संस्था का कहना है कि अंतरराष्ट्रीय एयरपोर्ट बनाने से पहले राज्य सरकार को देश के अन्य अंतरराष्ट्रीय एयरपोर्ट की स्थिति जाननी जरूरी है. जिन राज्यों में अंतरराष्ट्रीय एयरपोर्ट मौजूद हैं. वहां पर प्रतिदिन कितनी अंतरराष्ट्रीय उड़ानें होती हैं? यह भी देखना चाहिए कि जिन जगहों पर दिन भर में 5 से 10 उड़ानें होती हैं. ऐसे में उत्तराखंड जैसे छोटे राज्य में अंतरराष्ट्रीय एयरपोर्ट बनाना कितना फायदेमंद होगा? यहा बड़ा सवाल है.

उत्तराखंड में नहीं चलेगा बड़े शहरों का विकास मॉडल- संस्था

सिटीजन फॉर ग्रीन दून के सदस्यों का कहना है कि बड़े मैदानी शहरों का विकास मॉडल उत्तराखंड में लागू करना बेहद दुर्भाग्यपूर्ण है, क्योंकि उत्तराखंड प्राकृतिक रूप से अपनी पहचान रखता है. लोग उत्तराखंड में कंक्रीट के जंगल के लिए नहीं बल्कि प्राकृतिक जंगल को देखने आते हैं, लेकिन उत्तराखंड सरकार प्राकृतिक जंगलों को खत्म करने पर तुली है.

बता दें, सिटीजन फॉर ग्रीन दून वहीं संस्था है जिसने ऑल वेदर रोड की चौड़ाई को लेकर सुप्रीम कोर्ट तक लड़ाई लड़ी. उसके बाद सुप्रीम कोर्ट ने यह माना कि पहाड़ों में ऑल वेदर रोड की चौड़ाई साढ़े 5 मीटर काफी है. अब ऑल वेदर रोड की चौड़ाई डबल लेन से घटकर डेढ़ लेन हो गई है.

Last Updated : Oct 18, 2020, 5:31 PM IST

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