ऋषिकेशः चीन से आये शिष्टमंडल ने परमार्थ निकेतन के परमाध्यक्ष स्वामी चिदानन्द सरस्वती से भेंट की. शिष्टमंडल ने परमार्थ निकेतन में रहकर योग की विभिन्न विद्याओं को आत्मसात करने की इच्छा व्यक्त की. साथ ही स्वामी जी महाराज ने शिष्टमंडल से योग, जल और पर्यावरण संरक्षण के विषय में चर्चा की. स्वामी चिदानन्द ने कहा कि इससे योग ही नहीं बल्कि भारत और चीन के मध्य सहयोग भी बढ़ेगा. लोग एक-दूसरे से मिलते हैं और एक दूसरे को समझते हैं तो इससे आपसी सद्भाव आपसी तालमेल मेलजोल और विचारों का आदन-प्रदान होता है. देवान्भावयतानेन ते देवा भावयन्तु वः. परस्परं भावयन्तः श्रेयः परमवाप्स्यथ
चीन से आये दल के साथ योग, जल और पर्यावरण पर चर्चा करते हुए उन्होंने कहा कि योग स्वतः को स्वस्थ और ऊर्जावान करने के लिये है परन्तु प्रकृति और पर्यावरण की स्वच्छता के बिना मनुष्य कभी भी स्वस्थ नहीं हो सकता. उन्होने कहा कि किसी भी सभ्य एवं विकसित समाज के लिये स्वच्छता के उच्च मानदंडों की आवश्यकता होती है. भारत एक निरन्तर प्रगतिशील राष्ट्र है परन्तु उसे सहस्राब्दी विकास लक्ष्य एवं सतत विकास को हासिल करना है तो स्वच्छता के उच्च मानदंडों को अंगीकार करना होगा.
प्रसन्नता की बात है कि भारत के प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने जब से देश की कमान हाथ में ली है तब से स्वच्छता की मशाल पूरे भारत में अद्भुत रूप से प्रकाशित हो रही है. अब हम 130 करोड़ भारतीयों को आगे आना होगा ताकि यह स्वच्छता की मशाल आगे भी प्रकाशित होती रहे. सभी को कंधे से कंधा मिलकार आगे बढ़ना होगा तभी हम स्वच्छ, स्वस्थ और समृद्ध भारत का निर्माण कर सकते हैं.