उत्तराखंड

uttarakhand

ETV Bharat / state

पढ़ने को किताब नहीं जीतेंगे सारा जहां! उत्तराखंड के सरकारी स्कूलों में छात्रों को बुक का इंतजार - किताबों के इंतजार में नौनिहाल

उत्तराखंड के स्कूलों में नया शैक्षणिक सत्र शुरू हो चुका है. एक तरफ प्राइवेट स्कूल के अभिभावक अपने बच्चों को नई ड्रेस, स्कूल बैग और किताबों के साथ स्कूल भेज रहे हैं तो दूसरी तरफ हजारों बच्चे ऐसे भी हैं, जो बिना नई किताबों के स्कूल जाने को मजबूर हैं. दरअसल, सरकारी स्कूलों के बच्चों को अभी तक किताबें नहीं मिल पाई है. ऐसे में सवाल उठ रहा है कि विधायकों और अफसरों के बच्चे भी इन सरकारी स्कूलों में पढ़ते तो भी क्या व्यवस्थाओं को लेकर लापरवाही इसी तरह होती?

Books in Uttarakhand
Etv Bharat

By

Published : Apr 9, 2023, 4:21 PM IST

Updated : Apr 10, 2023, 9:03 AM IST

उत्तराखंड के सरकारी स्कूलों में छात्रों को बुक का इंतजार.

देहरादूनः स्कूलों में नए शैक्षणिक सत्र की शुरुआत हो चुकी है. बच्चे भी अपनी नई क्लास में नए पाठ्यक्रम को लेकर उत्साहित हैं, लेकिन सरकारी विद्यालयों में हालत थोड़ा जुदा हैं. यहां छात्र स्कूल तो जा रहे हैं, लेकिन उनके पास नई किताबें ही नहीं है. ऐसा इसलिए क्योंकि सरकार को काफी देरी से याद आई कि विद्यालयों में नए सत्र के लिए बच्चों को किताबों की भी जरूरत होगी. ऐसे में सवाल उठ रहा है कि यदि मंत्री, विधायकों और अफसरों के बच्चे भी इन सरकारी स्कूलों में पढ़ रहे होते तो भी क्या सरकारी सिस्टम किताबों को लेकर इतना ही लापरवाह होता?

दरअसल, सरकारी विद्यालयों में नए सत्र से पहले बच्चों को मिलने वाली मुफ्त किताबों की व्यवस्था ही नहीं की गई. स्कूल खुल गए बच्चे भी स्कूल जाने लगे, लेकिन सरकारी स्कूलों में किताबें ही नहीं पहुंचाई गई. इन हालातों में समझा जा सकता है कि सरकारी स्कूलों में बच्चों को पढ़ाना कितना मुश्किल हो रहा होगा. नया शैक्षणिक सत्र शुरू हो चुका है, लेकिन शिक्षा विभाग ने अब जाकर इन किताबों के लिए बजट जारी किया. स्थिति ये है कि स्कूल खुलने के एक हफ्ते तक भी किताबें स्कूलों में नहीं पहुंच पाई. हालांकि, स्कूलों में मौजूद शिक्षक पुरानी किताबों से ही काम चलाने की बात फिलहाल कह रहे हैं. साथ ही सरकारी कार्यक्रमों के तहत बच्चों को पढ़ाया जा रहा है.
ये भी पढ़ेंःहाल-ए-स्कूल: टिहरी में एक छात्रा को पढ़ा रहे तीन शिक्षक, ₹36 लाख हो रहे खर्च

सरकारी शिक्षक और अधिकारी बोलने को तैयार नहींःसरकारी स्कूलों में किताबें नहीं है और अव्यवस्थाओं का भी बोलबाला है. इस सब के बीच हैरानी की बात ये है कि कुछ शिक्षक इन हालातों को छिपाने की कोशिश भी करते हुए दिखाई दे रहे हैं. जबकि शिक्षक का काम छात्रों को बेहतर शिक्षा देने के लिए कमियों को बताना होना चाहिए. इस मामले में कुछ शिक्षक विद्यालयों में मीडिया के प्रवेश पर भी पाबंदी के आदेश होने की बात कहते नजर आते हैं. शिक्षक कहते हैं कि विद्यालय में मीडिया के प्रवेश से पहले शिक्षा विभाग के अधिकारियों से परमिशन से जुड़ा आदेश जारी किया गया है. हालांकि, उच्च अधिकारी इस तरह के किसी भी आदेश के होने से साफ इनकार कर रहे हैं.
ये भी पढ़ेंः11 अप्रैल से सरकारी स्कूलों में प्रवेशोत्सव, 30 हजार शिक्षकों को मिलेगा टैबलेट

धन सिंह रावत का बयान भी हास्यास्पदःईटीवी भारत ने देहरादून के कई सरकारी विद्यालय में पहुंचकर स्थितियों को जानने की कोशिश की, लेकिन कई स्कूल ऐसे थे, जिन्होंने इन कमियों को छुपाने के लिए परमिशन जैसी औपचारिकताओं को सामने रख दिया. उधर, इस मामले में संबंधित अधिकारी कुछ भी बोलने से बचते दिखे. हालांकि, इस पर ईटीवी भारत ने सूबे के शिक्षा मंत्री धन सिंह रावत से सवाल पूछा. जिस पर धन सिंह रावत का भी एक ऐसा बयान आया जो वाकई हास्यास्पद है. धन सिंह रावत कहते हैं कि अशासकीय विद्यालयों को भी इस बार मुफ्त किताबें देने का विचार किया गया है और इसलिए यह देरी हुई है.

Last Updated : Apr 10, 2023, 9:03 AM IST

ABOUT THE AUTHOR

...view details