उत्तराखंड

uttarakhand

ETV Bharat / state

स्कूलों के बंद होने से 'मिड डे मील' योजना का बच्चों को नहीं मिल पा रहा लाभ

उत्तराखंड में कोरोना का कहर जारी है. कोरोना के कारण प्रदेशभर के स्कूलों को बंद किया गया है. जिसकी वजह से सरकारी स्कूलों में पढ़ने वाले नौनिहालों को 'मिड डे मील' योजना का लाभ नहीं मिल पा रहा है.

mid-day-meal-scheme
mid-day-meal-scheme

By

Published : May 20, 2021, 8:56 AM IST

Updated : May 20, 2021, 9:42 AM IST

देहरादून: देश का हर एक बच्चा स्वस्थ और शिक्षित हो, इस उद्देश्य से साल 1995 में केंद्र सरकार की ओर से 'मिड डे मील' योजना (मध्याह्न भोजन योजना) शुरू की गई थी. लेकिन वर्तमान में स्थिति यह है कि कोरोना के चलते देश के अन्य राज्यों की तर्ज पर प्रदेश में भी स्कूल को बंद किया गया है. जिसकी वजह से सरकारी स्कूलों में पढ़ने वाले नौनिहालों को 'मिड डे मील' योजना का लाभ नहीं मिल पा रहा है.

बाल आयोग अध्यक्ष ऊषा नेगी ने मिड डे मील' योजना को लेकर कही यह बातें.


राजधानी देहरादून के विभिन्न सरकारी प्राथमिक और उच्च प्राथमिक विद्यालयों में पढ़ने वाले बच्चे इन दिनों अपने घरों में कैद हैं. इस दौर उन्हें परिवार में छाई आर्थिक तंगी की वजह से पौष्टिक आहार तक नहीं मिल पा रहा है. देहरादून की दीपनगर मलिन बस्ती में रहने वाली जीआईसी की छात्र शिवानी ने बताया कि जब तक स्कूल खुले थे. तब तक उन्हें स्कूल में दिन के वक्त 'मिड डे मील' योजना के तहत पौष्टिक आहार मिलता था. लेकिन वर्तमान समय में कोविड कर्फ्यू के चलते स्कूल बंद हैं और घर की माली हालत की वजह से एक समय का भर पेट खाना तक नहीं मिल पा रहा है. ऐसे में सरकार को कुछ ऐसा विकल्प तलाशना चाहिए, जिससे कि गरीब परिवारों से आने वाले बच्चों को घर पर ही 'मिड डे मील' योजना का लाभ मिल सकें.

स्कूलों के बंद होने से 'मिड डे मील' योजना का बच्चों को नहीं मिल पा रहा लाभ.

कोरोना को लेकर सड़क किनारे ठेली लगाकर कमाई करने वाले तुलसी दास राठौर का कहना है कि कोविड कर्फ्यू के चलते उनका कारोबार पूरी तरह से ठप पड़ चुका है. ऐसे में उनके सामने परिवार का भरण पोषण कर पाना एक बड़ी चुनौती साबित हो रहा है. जब तक स्कूल चल रहे थे तब तक उन्हें इस बात की संतुष्टि थी कि उनके बच्चों को स्कूल में 'मिड डे मील' योजना के तहत पौष्टिक आहार मिल रहा है. लेकिन अब कोरोना में स्कूल भी दोबारा बंद हो चुके हैं और उनकी कमाई भी पूरी तरह से ठप हो चुकी है. जिसकी वजह से उन्हें काफी परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है.

गौरतलब है कि शिक्षा विभाग के आंकड़ों के अनुसार प्रदेश भर में 1.40 लाख बच्चों को 'मिड डे मील' योजना के तहत पौष्टिक आहार दिया है. लेकिन कोरोना में स्कूलों के बंद होने की वजह से इस योजना का लाभ बच्चों तक नहीं पहुंच पा रहा है.

बाल आयोग की अध्यक्ष तक मलिन बस्तियों में रहने वाले बच्चों की गई यह समस्या पहुंची तो उन्होंने तत्काल मुख्य सचिव उत्तराखंड को पत्र भेज आंगनबाड़ी में पंजीकृत बच्चों को 'राष्ट्रीय पोषण अभियान' के तहत पुष्टाहार उपलब्ध कराने को कहा गया है. ऊषा नेगी ने कहा कि कोरोना के इस दौर में बच्चों को कुपोषण से बचाना बेहद जरूरी है. ऐसे में शासन-प्रशासन को आंगनबाड़ी वर्कर्स के माध्यम से गरीब परिवारों के बच्चों के लिए पौष्टिक आहार की व्यवस्था करनी चाहिए.

पढ़ें:उत्तराखंड में कोविड रिकवरी रेट बढ़ा, लगेंगे 15 नए ऑक्सीजन प्लांट

बाल आयोग की ओर से मुख्य सचिव उत्तराखंड को राष्ट्रीय पोषण अभियान के तहत बच्चों को पौष्टिक आहार उपलब्ध कराने को लेकर पत्र भेजा गया है.

Last Updated : May 20, 2021, 9:42 AM IST

ABOUT THE AUTHOR

...view details