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ड्रापआउट बच्चियों का दोबारा स्कूलों में होगा एडमिशन, ये लोग उठाएंगे पढ़ाई का खर्च

महिला एवं बाल विकास विभाग की कोशिश लड़कियों को शिक्षित करने की है. विभाग का उन लड़कियों पर विशेष फोकस कर रहा है जिन्होंने किन्हीं कारणों से अपनी पढ़ाई बीच में ही छोड़ दी थी, लेकिन अब वे आगे पढ़ना चाहती है.

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Published : Oct 12, 2020, 6:10 PM IST

देहरादून:प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की ओर से शुरू किए गए बेटी बचाओ-बेटी पढ़ाओ अभियान का मुख्य उद्देश्य सिर्फ बेटियों को भ्रूण हत्या से बचाना ही नहीं है, बल्कि देश की बेटियों को शिक्षित कर आत्मनिर्भर बनाना भी है. इसी के तहत बेटी बचाओ-बेटी पढ़ाओ अभियान को आगे बढ़ाते हुए महिला एवं बाल विकास विभाग की ओर से जनपद देहरादून में विशेष कार्यक्रम शुरू किया गया है. जिसके तहत जनपद के विभिन्न ग्रामीण इलाकों में उन बच्चियों को दोबारा स्कूल में दाखिला दिलाया जाएगा, जिन्होंने पारिवारिक कारणों से बीच में ही अपनी पढ़ाई छोड़ दी थी और अब वे अपनी पढ़ाई को पूरा करना चाहती है.

ड्रापआउट बच्चियों को दोबारा स्कूलों में होगा एडमिशन.

इस बारे में ज्यादा जानकारी के देते हुए जिला कार्यक्रम अधिकारी देहरादून (डीपीओ) अखिलेश मिश्र ने कहा कि बेटी बचाओ बेटी-पढ़ाओ अभियान के तहत 'My social responsibility' स्लोगन के साथ चिन्हित ड्रॉप आउट बच्चियों को दोबारा स्कूलों में दाखिला दिलाया जाएगा.

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इसके तहत रविवार को राष्ट्रीय बालिका दिवस के मौके पर विकासनगर इलाके की 47 ड्रॉप आउट बच्चियों को स्कूलों में दोबारा दाखिला दिलाया जा चुका है. इनमें से 25 बच्चियों की कक्षा 12वीं तक की पढ़ाई का खर्च वह खुद वहन करने जा रहे हैं. वहीं 5 बच्चियों की पढ़ाई की जिम्मेदारी राज्य परियोजना अधिकारी ने ली है. साथ ही 21 बच्चियों की 12वीं तक की पढ़ाई की जिम्मेदारी खुद राज्य मंत्री रेखा आर्य उठाने जा रही है. यहां बच्चियों की पढ़ाई का खर्च उठाने से मतलब है बच्चों की यूनिफॉर्म, स्कूल फीस और किताबों का खर्च उठाना है.

डीपीओ अखिलेश मिश्र के मुताबिक इन बच्चियों के अलावा भी देहरादून जनपद के अलग-अलग ग्रामीण इलाकों जैसे चकराता, त्यूणी, डोईवाला और विकासनगर से वर्तमान में 339 ऐसी बच्चियां चिन्हित की गई है, जो पारिवारिक कारणों के चलते स्कूलों से ड्राप आउट हैं और आगे पढ़ाई करने की इच्छा रखती हैं. ऐसे में निर्धारित लक्ष्य के तहत राज्य स्थापना दिवस यानी 09 नवंबर से पहले इन सभी बच्चियों को दोबारा इनके पास के सरकारी स्कूलों में दाखिला दिलाया जाएगा. जिससे की यह बच्चियां अपनी पढ़ाई पूरी कर जागरूक और आत्मनिर्भर बन सकें.

वही यहां 'my social responsibility' के तहत इन बच्चियों की 12वीं तक की पढ़ाई का खर्च उठाने की जिम्मेदारी शहर के कुछ बड़े व्यापारियों और सेवानिवृत्त अधिकारियों व जनप्रतिनिधियों को उनकी इक्छा अनुसार सौंपी जाएगी. बता दें कि साल 2011 में हुई जनगणना के आधार पर उत्तराखंड की साक्षरता दर 78.8% है. इसमें 87.4% पुरुष और 70.0% महिलाएं शिक्षित हैं. वही बात देहरादून जिले की करें तो यहां साक्षरता दर 84.2% है.

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