देहरादून: दिल्ली के छावला गैंगरेप केस पर सुप्रीम कोर्ट ने दोबारा विचार करने से मना कर दिया है. सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले में डाली गई पुनर्विचार याचिका पर ये बात कही. इसके साथ ही सुप्रीम कोर्ट ने दोषियों को बरी करने वाले आदेश को ही सही माना है. वहीं, छावला गैंगरेप पीड़िता को इंसाफ दिलाने के लिए 9 अप्रैल को जंतर-मंतर पर बहुत बड़ा जल्द सैलाब उमड़ने जा रहा है. दिल्ली की एक एनजीओ संचालिका योगिता भयाना ने इस केस में इंसाफ दिलाने के लिए प्रधानमंत्री राष्ट्रपति, सीजीआई को अधिक से अधिक संख्या में पत्र लिखने की प्रदेशवासियों से अपील की है. आज छावला गैंगरेप पीड़िता के परिजनों ने देहरादून पहुंचकर मुख्यमंत्री से भी न्याय की गुहार लगाई है. बता दें कि ये परिवार मूल रूप से उत्तराखंड के पौड़ी जिले के धुमाकोट का रहने वाला है.
यह घटना 9 फरवरी 2012 दिल्ली में घटित हुई थी, जब 19 वर्षीय पीड़िता अपने घर से ऑफिस के लिए निकली थी. तभी तीन दरिंदों ने उसे कार में अगुवा करके उसके साथ गैंगरेप किया. बलात्कारियों ने कार में रखे औजारों से उसे पीटा और निजी अंग के साथ बर्बरता की. आरोपियों ने लड़की की आंखों में तेजाब डालकर उसे मार डाला. इसके बाद पीड़िता के परिजनों ने अपनी बेटी को इंसाफ दिलाने को लेकर लंबी कानूनी लड़ाई लड़ी. ऐसे में निचली अदालतों ने आरोपियों के गुनाह को देखते हुए फांसी की सजा मुकर्रर की थी, लेकिन, बीते दिनों सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले को लेकर जो फैसला सुनाया उससे किरण के माता-पिता मायूस हो गए.
सुप्रीम कोर्ट ने आरोपियों को बरी कर दिया, जिसके बाद पीड़िता के माता-पिता इंसाफ की मांग कर रहे हैं. आज छावला गैंगरेप पीड़िता के माता-पिता ने देहरादून पहुंचकर मुख्यमंत्री धामी से इंसाफ की गुहार लगाई. साथ ही सुप्रीम कोर्ट के पूर्व जज पर कई गंभीर आरोप जड़े. इस मामले में पीड़िता की मां ने नम आंखों से कहा कि निचली अदालतों में कानूनी लड़ाई लड़ने के बाद भी सुप्रीम कोर्ट में करीब 11 साल लग गए. उन्होंने कहा आरोपियों को उम्रकैद या आजीवन कारावास की सजा भी हो जाती तो कम से कम उन्हें थोड़ी राहत मिलती, मगर सभी आरोपी बरी हो गए हैं. मां ने मुख्यमंत्री धामी से हाथ जोड़कर अपनी बेटी को इंसाफ दिलाने का आग्रह किया है.