देहरादून:योग की राजधानी ऋषिकेश हिंदुस्तानियों के साथ विदेशियों के लिए भी आकर्षण का केंद्र रही है. यही कारण है कि पूरी दुनिया को ध्यान और योग सिखाने वाले ऋषिकेश में विदेशी सैलानियों का तांता लगा रहता है. ऋषिकेश स्थित चौरासी कुटिया भी ऐसा ही एक क्षेत्र है, जहां दुनिया भर के लोग पहुंचते हैं. लेकिन अब तक खंडहर में तब्दील हो रहा यह स्थल इको डेस्टिनेशन के रूप में विकसित होने की तरफ बढ़ रहा है.
योग के लिए ऋषिकेश का क्या महत्व है यह तो सभी जानते हैं, लेकिन पिछले सालों साल तक योग के दृष्टिकोण से दुनिया भर में पहचान रखने वाली चौरासी कुटिया को उत्तराखंड सरकार की तरफ से भुला दिया गया. यही कारण है कि चौरासी कुटिया का यह स्थान अपनी बदहाली देखने के लिए मजबूर है. यह हाल तब है जब ऋषिकेश स्थित चौरासी कुटिया योग और मेडिटेशन समेत विश्व प्रसिद्ध बैंड बीटल्स के चाहने वालों के लिए बेहद खास रही है.
अब नए कलेवर में निखरने जा रही चौरासी कुटी. खंडहर में तब्दील हुई कुटिया और गुफाएं देखने के लिए भी लोग टिकट खरीदकर यहां पहुंचते हैं. यही नहीं, इन हालातों में भी वन विभाग अब तक इससे करोड़ों रुपए कमा चुका है. हालांकि, चौरासी कुटिया के बुरे हालात से उसे मुक्ति दिलाने के लिए अब वन विभाग कुछ गंभीर होता हुआ दिखाई दिया है. वन विभाग के मंत्री समेत विभागीय अधिकारियों ने हाल ही में इस क्षेत्र का दौरा करके नई उम्मीद जगाई है. दरअसल, महकमा अब इस स्थल को इको डेस्टिनेशन के रूप में तब्दील करने पर विचार कर रहा है.
चौरासी कुटिया आश्रम. महर्षि महेश योगी संग मशहूर रॉक बैंड बीटल्स के सदस्य. महर्षि महेश योगी (Maharishi Mahesh Yogi) ने राजाजी रिजर्व पार्क क्षेत्र में बेहद शांति के बीच लोगों के लिए योग और मेडिटेशन स्थल को बनाया. न केवल प्रसिद्ध बैंड बीटल्स के सदस्य यहां पहुंचे, बल्कि कई विदेशियों का यहां लगातार तांता लगा रहा है. जबकि ना तो यहां पर किसी तरह की सुविधाएं हैं और ना ही पर्यटकों को आकर्षित करने के लिए कोई प्रयास किया जाता है. इसके बावजूद पिछले करीब डेढ़ साल में ही वन विभाग इस क्षेत्र से 24 लाख रुपए कमा चुका है.
चौरासी कुटिया आश्रम से कमाई:साल 2019 में तो यहां से 45 लाख तक की कमाई हुई थी, जबकि इससे पहले 2018 में सबसे ज्यादा 51 लाख रुपए की आय की गई थी. बीटल्स क्षेत्र में करीब 4 महीने तक रुके थे और उनके यहां आने के बाद विदेशियों के लिए भी यह जगह बेहद खास हो गई. हालांकि, साल 1989 में महर्षि महेश योगी भी इस स्थल को छोड़कर हॉलैंड चले गए.
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कौन है महर्षि महेश योगी?महर्षि महेश योगी का असली नाम था महेश प्रसाद वर्मा. महर्षि महेश योगी का जन्म 12 जनवरी 1918 को छत्तीसगढ़ के राजिम शहर के पास पांडुका गांव में हुआ था. उन्होंने इलाहाबाद से दर्शनशास्त्र में स्नातकोत्तर की उपाधि ली थी. 40 और 50 के दशक में वे हिमालय में अपने गुरू से ध्यान और योग की शिक्षा लेते रहे. महर्षि महेश योगी ने ध्यान और योग से बेहतर स्वास्थ्य और आध्यात्मिक ज्ञान का वादा किया और दुनिया के कई मशहूर लोग उनसे जुड़ गए. ब्रिटेन के रॉक बैंड बीटल्स के सदस्य उत्तरी वेल्स में उनके साथ सप्ताहांत बिताया करते थे.
1968 में किया था अंतरराष्ट्रीय ध्यान शिक्षण शिविर का आयोजन:गंगा किनारे स्थित चौरासी कुटिया और आश्रम के बारे में कहा जाता है कि महर्षि ने यहां 1968 में एक अंतरराष्ट्रीय ध्यान शिक्षण शिविर आयोजित कराया था. जिसमें दुनिया भर के तत्कालीन 60 मेडिटेशन एक्सपर्ट्स ने हिस्सा लिया था. इसके बाद ही विदेशी पर्यटकों के कदम ऋषिकेश की ओर बढ़े थे और पर्यटन को एक नई दिशा मिली.
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कभी यहां हुआ करती थी चहल-पहल:चौरासी कुटिया में कभी काफी चहल-पहल हुआ करती थी. यहां कभी पूरा एक नगर बसा था. महर्षि से ध्यान और योग की शिक्षा लेने कई हॉलीवुड हस्तियां यहां आया करती थी. साथ ही बीटल्स बैंड के रिंगो स्टार, जॉर्ज हैरिसन, पॉल मैककर्टनी और जॉन लेनन भी योग और ध्यान लगाने आया करते थे. बीटल्स ने यहीं रहकर 48 गाने भी तैयार किया थे, जो दुनिया भर में फेमस हुए थे लेकिन आश्रम की लीज खत्म हो जाने पर सरकार ने इसकी लीज को आगे नहीं बढ़ाया. जिससे इस बसी बसाई ध्यान योग नगरी पर संकट के बादल छाने लगे.
सरकार ने इसे राजाजी नेशनल पार्क में शामिल करते हुए यहां किसी भी तरह की आवाजाही पर रोक लगा दी थी. महर्षि महेश योगी भी 1983 में हॉलैंड चले गए थे. उसके बाद वों कभी इस आश्रम में वापस नहीं आये. धीरे-धीरे आश्रम में रहने वाले कर्मचारियों को भी यहां से जाना पड़ा. उसके बाद ये साढ़े सात एकड़ में फैली 84 कुटिया खंडहर में तब्दील होने लगी. राजाजी टाइगर रिजर्व क्षेत्र में बने 84 कुटिया का दीदार करने के लिए बीटल्स के फैन और महर्षि के अनुयायी आज भी इस आश्रम को देखने के लिए पहुंचते हैं. 84 कुटिया में प्रवेश कर ध्यान योग नगरी से रूबरू होने का मौका मिलेगा, जंहा कभी महर्षि ने बीटल्स को ध्यान योग का अभ्यास कराया था. आज महर्षि महेश योगी के कारण ही विश्व पटल पर भारत योग के रूप में जाना जाता है. भारत को योग की अंतरराष्ट्रीय राजधानी के रूप में जाना जाता है.