देहरादून: विश्व प्रसिद्ध चार धामों को वैष्णो देवी और बालाजी की तर्ज पर श्राइन बोर्ड किए जाने के फैसले पर तीर्थ पुरोहितों ने अपना विरोध जाहिर किया है. तीर्थ पुरोहितों ने सरकार को चेतावनी देते हुए कहा कि यदि ऐसा होता है तो आगामी समय में एक उग्र आंदोलन किया जाएगा. उनका कहना है कि सरकार यदि ये फैसला उनपर थोपती है तो तीर्थ पुरोहित न्यायालय की शरण में भी जा सकते हैं.
दरअसल, उत्तराखंड सरकार की कैबिनेट ने अपने एक महत्वपूर्ण फैसले में उत्तराखंड चारधाम श्राइन बोर्ड विधेयक 2019 को मंजूरी दे दी है. इसके तहत गंगोत्री, यमुनोत्री, बदरीनाथ, केदारनाथ समेत 51 मंदिरों की व्यवस्थाएं अब चार धाम विकास बोर्ड के तहत संचालित होगी. ऐसे में अब वैष्णो देवी और तिरुपति बालाजी मंदिर की तर्ज पर ही चार धाम की व्यवस्था संचालित होने जा रही है. वहीं, यमुनोत्री मंदिर समिति सचिव करतेश्वर उनियाल ने बताया कि सरकार ने इतना बड़ा निर्णय लिया है, लेकिन पंडा समाज को जानकारी तक नहीं दी गई.
गंगोत्री मंदिर समिति के अध्यक्ष सुरेश सेमवाल इस फैसले पर नाराजगी व्यक्त करते हुए कहा कि ये काला कानून सनातन संस्कृति को नष्ट करने वाला है. इसे हक हकूक धारी किसी भी सूरत में बर्दाश्त नहीं करेंगे. अगर सरकार अपने निर्णय में बदलाव नहीं करती है तो विधानसभा घेराव के साथ ही उग्र आंदोलन किया जाएगा. इस फैसले के खिलाफ चार धामों के कपाट खोले जाने का भी विरोध तक दर्ज कराया जाएगा.