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चमोली को लगी किसकी नजर? कभी रैणी में आपदा तो कभी जोशीमठ में दरारें, एसटीपी करंट की घटना ने भी रुलाया

सामरिक दृष्टि से महत्वपूर्ण चमोली जिला बीते कुछ समय से हादसों के कारण चर्चाओं में है. मॉनसून सीजन यहां हर बार अपने साथ कुछ आफत लेकर आता है. इस साल भी कुछ ऐसा ही हुआ है. बीते कुछ सालों की घटनाओं पर नजर डालें तो चमोली ने काफी कुछ झेला है.

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Published : Aug 4, 2023, 4:55 PM IST

Updated : Aug 4, 2023, 5:47 PM IST

चमोली: उत्तराखंड का चमोली जिला बीते कुछ समय से हादसों के कारण चर्चाओं में है. हाल ही में हुई कुछ घटनाओं के कारण पूरे देश का ध्यान चमोली की तरफ गया है. सामरिक और धार्मिक दोनों ही दृष्टिकोण से चमोली न सिर्फ उत्तराखंड का, बल्कि देश का एक महत्वपूर्ण शहर है. एक तरफ जहां हिंदुओं के प्रमुख चार धाम में से एक धाम बदरीनाथ धाम इसी जिले में आता है, तो वहीं चीन सीमा पर भारत का ये आखिरी जिला है.

चमोली में हुई बड़ी घटनाएं: साल 2021 में हुई एक घटना ने पूरे देश को झकझोर कर रख दिया था. चमोली जिले के तपोवन क्षेत्र में आई जल प्रयल ने 206 लोगों की जान ले ली थी. यह हादसा 7 फरवरी साल 2021 में हुआ था. लगभग 25 दिन चले ऑपरेशन के बाद कई शवों को निकाला गया था. ये दैवीय आपदा कितनी भायवह थी, इसका अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि एक साल बाद तक भी एनटीपीसी की टनल में से शव निकाले गए थे.

रैणी आपदा से पूरा देश हिल गया था.
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जोशीमठ ने पूरे देश का ध्यान अपनी तरफ खींचा: इसके बाद इसी साल 2023 में चमोली का जोशीमठ शहर फिर से चर्चाओं में आया. इस घटना ने भी पूरे देश का ध्यान चमोली की तरफ खींचा. जोशीमठ शहर का एक हिस्सा दरकने लगा. कई घरों में अचानक दरारें आने लगी. जमीन में पानी का रिसाव होने लगा. हालात इतने खराब हो गए थे कि प्रशासन को करीब 600 घरों में रहने वाले लोगों को सुरक्षित स्थानों पर शिफ्ट कराना पड़ा.

जोशीमठ ने पूरे देश का ध्यान अपनी तरफ खींचा

कई परिवार आज भी राहत शिविरों में रहने को मजबूर: कई परिवार आज भी राहत शिविरों में अपना समय गुजार रहे हैं. जोशीमठ में हालात कब सुधरेंगे, इसके बारे में अभी किसी को भी कुछ नहीं पता. मॉनसून में स्थिति और ज्यादा खराब हो गई थी. बरसात के दिनों में जमीनों में पड़ी दरारें फिर से चौड़ी होने लगी थी. कई परिवारों के सामने तो रोजी-रोटी का संकट खड़ा हो गया था. एक बार बदरीनाथ धाम की यात्रा को लेकर भी संशय बनने लगा था, लेकिन जोशीमठ भू-धंसाव का बदरीनाथ धाम की यात्रा पर कोई असर नहीं पड़ा. जैसे-जैसे यात्रा चली लोगों के रोजगार के साधन भी खुले, जिससे उन्हें थोड़ी राहत मिली.
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STP करंट हादसा: चमोली जिले में हाल में एक और बड़ा हादसा हुआ, जिसमें 16 लोगों की मौत हो गई. जोशीमठ में सीवरेज ट्रीटमेंट प्लांट में करंट फैलने से 16 लोगों की मौत हो गई थी. हादसे में जान गंवाने वालों में उत्तराखंड पुलिस के एक सब इंस्पेक्टर और तीन होमगार्ड भी थे. इस घटना से पूरा देश हिल गया था.

अलकनंदा नदी पर बना पुल टूटा: बीती 2 दो अगस्त ही बदरीनाथ मास्टर प्लान के लिए बनाया गया पुल अलकनंदा नदी में समा गया. इस पुल का निर्माण बदरीनाथ धाम में चल रहे पुनर्निर्माण कार्यों को गति देने के लिए किया गया था, लेकिन सब कुछ ठीक होते हुए भी चमोली का यह पुल ताश के पत्तों की तरह अलकनंदा नदी में समा गया. इस हादसे में एक मजदूर की मौत हो गई थी.
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क्या कहते अधिकारी?: मॉनसून में सबसे अधिक नुकसान वाले जिलों में चमोली जिला है, जहां कई पुल टूटे हैं. कई सड़कें आज भी बंद हैं. ऋषिकेश-बदरीनाथ हाईवे का भी एक हिस्सा पानी में बह गया था, जिससे चमोली का संपर्क अन्य जिलों से कट गया था. चमोली के जिलाधिकारी हिमांशु खुराना ने बताया कि सभी विभागों से मॉनसून सीजन में हुए नुकसान का ब्यौरा मांगा गया है. नुकसान का ब्यौरा आने के बाद रिपोर्ट शासन को भेजी जाएगी.

Last Updated : Aug 4, 2023, 5:47 PM IST

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