NTPC की टनल और थर्मल पावर प्रोजेक्ट की होगी जांच. देहरादून: जोशीमठ में आपदा न्यूनीकरण को लेकर चल रहे कार्यों और आपदा के कारणों की जांच को लेकर ईटीवी भारत ने उत्तराखंड आपदा प्रबंधन सचिव रंजीत सिन्हा से खास बातचीत की. इस दौरान आपदा सचिव ने जोशीमठ में चल रहे राहत और विस्थापन कार्यों की जानकारी दी. उन्होंने कहा हर दिन जोशीमठ में दरार वाली भवनों का चिन्हीकरण (Marking of cracked buildings in Joshimath) किया जा रहा है. लोगों को सुरक्षित स्थान पर विस्थापित करने की प्रक्रिया चल रही है.
गौरतलब है कि जोशीमठ आपदा को लेकर एनटीपीसी टनल पर सवाल खड़े किए जा रहे हैं. स्थानीय लोगों का मानना है कि जोशीमठ के इस हालात के पीछे सबसे बड़ी वजह एनटीपीसी द्वारा पावर प्रोजेक्ट के लिए बनाया गया टनल है. रंजीत कुमार सिन्हा ने कहा केंद्र सरकार ने नेशनल थर्मल पावर कॉरपोरेशन को सख्त निर्देश दिए हैं कि ग्रामीणों और स्थानीय लोगों की शंकाओं को देखते हुए इस थर्मल पावर प्रोजेक्ट की जांच करवाएं. साथ ही जिस तरह से एनटीपीसी तपोवन विष्णुगाड़ परियोजना में टनल से नेचुरल वाटर रिसोर्स के पंचर होने की बात कही जा रही है, इसको लेकर इन्वेस्टिगेशन करें और लोगों की शंकाओं का जवाब दे.
उन्होंने बताया इस समय सबसे बड़ी प्राथमिकता उन प्रभावितों को विस्थापित करने की है, जो बेहद असुरक्षित श्रेणी के भवनों में निवास कर रहे हैं. जोशीमठ शहर में विस्थापन और मुआवजे को लेकर आ रही समस्याओं के संबंध में रंजीत कुमार सिन्हा ने कहा विस्थापन और पुनर्वास की प्रक्रिया को अमलीजामा पहनाने के लिए लगातार स्थानीय प्रशासन लोगों के साथ सामंजस्य बैठा रहा है.
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प्रशासन लोगों की उम्मीदों के अनुसार सरकार किस तरह से काम कर सके, इस पर रास्ता तलाशा जा रहा है. राहत राशि बढ़ाने का भी सरकार ने फैसला किया है, जिसके लिए मुख्यमंत्री ने अनुमोदन भी दिया है. जल्द ही कैबिनेट बैठक में राहत राशि को लेकर फैसला किया जाएगा. फिलहाल फौरी तौर पर कुछ राहत राशि ग्रामीणों को दी जा रही है.
वहीं, रंजीत कुमार सिन्हा ने बताया कि केंद्र और राज्य सरकार ने आपदा की वजहों की जानने के लिए अलग-अलग तकनीकी क्षेत्रों के टीमे जोशीमठ में भेजी है. जो आपदा के कारणों और उससे होने वाले नुकसान के अलावा आपदा के सेटलमेंट को लेकर इन्वेस्टिगेशन कर रहे हैं. अलकनंदा के कैचमेंट को मजबूत करने के लिए कार्यालय संस्था नामित कर दी गई है. इसके अलावा जोशीमठ में आपदाग्रस्त क्षेत्र में कितना नुकसान हुआ है. उसकी सैटेलाइट इमेजिंग साथ ही जियोफिजिकल इमेजिंग के अलावा वहां पर धरती के अंदर होने वाली हलचल को मापने के लिए भी सिस्मिक इक्यूपमेंट लगाए जा रहे हैं.