देहरादून: भारत सरकार (Indian government) ने गंगोत्री धाम (Gangotri Dham) और यमुनोत्री धाम (Yamunotri Dham) में विभिन्न निर्माण कार्यों के लिए 54 करोड़ 35 लाख 60 हजार रुपए की धनराशि को स्वीकृति दी है. गंगोत्री धाम में विभिन्न विकास कार्यों के लिए 17 करोड़ रुपए. जबकि यमुनोत्री धाम में पर्यटन सुविधाओं (Tourist facility in Yamunotri Dham) एवं अवस्थापनाओं के विकास के लिए 34 करोड़ रुपए की राशि स्वीकृत की गई है. इस परियोजना के संबंध में 2 हफ्ते पहले ही मुख्यमंत्री तीरथ सिंह रावत (Chief Minister Tirath Singh Rawat) ने केंद्रीय पर्यटन मंत्री प्रहलाद पटेल (Union Tourism Minister Prahlad Patel) से दिल्ली में मुलाकात की थी.
केंद्र सरकार की ओर से देश में तीर्थस्थल (Holy pilgrimage) और धरोहर स्थल विकसित करने के लिए ‘पिलग्रिमेज रेजुवेनेशन एंड स्प्रीचुअल, हेरिटेज ऑगमेंटेशन ड्राइव’ ('Pilgrimage Rejuvenation and Spiritual, Heritage Augmentation Drive') (प्रसाद) यानी ‘तीर्थयात्रा कायाकल्प एवं आध्यात्मिक संवर्धन मुहिम’ योजना चलाई गई है. उत्तराखंड पर्यटन विकास परिषद (Uttarakhand Tourism Development Council) इन कार्यों को करवाने वाली संस्था होगी. जबकि सचिव पर्यटन इसके नोडल अधिकारी होंगे.
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पर्यटन मंत्री सतपाल महाराज (Tourism Minister Satpal Maharaj) ने केंद्रीय पर्यटन मंत्री और मुख्यमंत्री का आभार जताया. उन्होंने कहा कि गंगोत्री और यमुनोत्री के विकास कार्यों के लिए दी गई स्वीकृति से प्रदेश के धार्मिक पर्यटन को बढ़ावा मिलेगा. गंगोत्री-यमुनोत्री धामों में होने वाली इन विकास कार्यों से जहां राज्य में पर्यटन सुविधाओं का विकास होगा. वहीं, स्थानीय लोगों के लिए नए रोजगार स्थापित होंगे. राज्य सरकार जल्द ही इन कार्यों के लिए निविदा प्रक्रिया आरंभ करने जा रही है. 60 दिनों के अंतर ही विकास कार्य आरंभ कर दिए जाएंगे.
वही, सचिव पर्यटन दिलीप जावलकर ने बताया कि योजना के तहत यमुनोत्री धाम में भी फैसिलिटेशन सेंटर, यात्री सुविधाओं, प्रवेश द्वार आदि का निर्माण किया जाएगा. इसके अतिरिक्त वहां पर जानकी चट्टी से यमुनोत्री मंदिर तक 6 किलोमीटर के ट्रैक का निर्माण किया जाएगा. जिसमें दोनों ओर यात्री सुविधाओं को स्थापित किया जाएगा. जिसमें पेयजल की व्यवस्था, रेन शेल्टर, लाइटिंग आदि कार्य शामिल है. खरसाली में माता के पुराने मंदिर में लाइटों की व्यवस्था, अप्रोच रोड का निर्माण के साथ ही दोनों ही धामों में ठोस अपशिष्ट प्रबंधन के लिए सुदृढ़ इंतजाम किए जाएंगे.