देहरादून: मुख्यमंत्री स्वरोजगार योजना की गतिविधियों के बेहतर क्रियान्वयन के लिए राज्य सरकार की ओर से एक प्रकोष्ठ का गठन किया गया है. इस प्रकोष्ठ में अध्यक्ष की जिम्मेदारी पलायन आयोग उत्तराखंड के उपाध्यक्ष एसएस नेगी को सौंपी गई है. सदस्य के रूप में हार्क (HARC) संस्था से महेन्द्र सिंह कुंवर और मुख्यमंत्री के आर्थिक सलाहकार आलोक भट्ट भी शामिल हैं.
बता दें कि प्रदेश में अधिक से अधिक लोगों को स्वरोजगार से जोड़ने और उत्तराखंड लौटे प्रवासियों को स्वरोजगार के अवसर उपलब्ध कराने के लिए प्रधानमंत्री स्वरोजगार योजना की तर्ज पर मुख्यमंत्री स्वरोजगार योजना शुरू की गई है. इसमें निर्माण और सेवा क्षेत्र में अपना काम करने के लिए ऋण एवं अनुदान की व्यवस्था की गई है. अब प्रदेश में इसके लिए राज्य सरकार की ओर से एक प्रकोष्ठ का गठन किया गया है.
मुख्यमंत्री स्वरोजगार योजना के बेहतर क्रियान्वयन के लिए किया गया प्रकोष्ठ का गठन पढे़ं-प्रदेश में 12 सितंबर को पहली बार लगेगी ई- लोक अदालत, ऐसे दाखिल करें प्रार्थना पत्र
मुख्यमंत्री स्वरोजगार योजना में विनिर्माण में 25 लाख और सेवा क्षेत्र में 10 लाख तक की लागत की परियोजना पर स्वरोजगार के लिए ऋण लिया जा सकता है. इसमें 25 प्रतिशत तक अनुदान की व्यवस्था है. उत्तराखंड में मुख्यमंत्री स्वरोजगार योजना के तहत कोई भी व्यक्ति ऑनलाइन आवेदन कर सकता है. प्रदेश सरकार ने योजना की वेबसाइट भी लॉन्च कर दी है.
पढे़ं-रेखा आर्य की विभागीय अधिकारियों संग बैठक, दिए जरूरी दिशा-निर्देश
बता दें अबतक वापस आने वालों में सबसे अधिक प्रवासी अल्मोड़ा और पौड़ी में हैं. इनमें 80.66 प्रतिशत दूसरों राज्यों से वापस आए हैं. 0.29 प्रतिशत विदेशों से, राज्य के भीतर ही दूसरे जनपदों से अपने गृह जनपद आने वाले 18.11 प्रतिशत और एक प्रतिशत गृह जनपद के दूसरे इलाकों से अपने गांव अथवा घर आए हैं. उत्तराखंड लौटे प्रवासियों की स्किल मैपिंग की गई है. इनमें सबसे अधिक 58 प्रतिशत निजी क्षेत्रों से व शेष तकनीकी, बीपीओ, स्वरोजगार से जुड़े लोग हैं. ऐसे में प्रदेश में रोजगार और स्वरोजगार के लिए मुख्यमंत्री स्वरोजगार योजना को महत्वपूर्ण माना जा रहा है.