देहरादून:तत्कालीन प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी के शब्दों ने पूरे देश को जोश से भर दिया. वे शब्द जिसने भारतीय सैनिकों को पराक्रम दिखाने का मौका दिया. जो काम असंभव दिख रहा था, जवानों ने उसे कर दिखाया. दुश्मनों ने भारत की चोटियों पर बनी उन चौकियों पर कब्जा कर लिया था, जिसे सैनिक सर्दियों में छोड़कर नीचे आ जाते थे. भारतीय जवानों ने जान की परवाह किए बिना खड़ी पहाड़ी की चोटी पर कब्जा जमाए बैठे दुश्मनों के इरादों को नेस्तनाबूद कर दिया.
मई 1999 में भारत और पाकिस्तान के बीच कश्मीर के पहाड़ों में तब भयंकर युद्ध छिड़ गया था, जब भारत को पता चला कि कई आतंकी लाइन ऑफ कंट्रोल पार कर भारतीय सीमा में 10 किलोमीटर अंदर तक घुस आए हैं. इसके बाद शुरू हुआ ऑपरेशन विजय. 1971 के बाद पहली बार भारतीय सेना इतने बड़े पैमाने पर लामबंद हुई.
दुश्मनों को मुंहतोड़ जवाब देने के लिए सेना के प्रयासों के साथ पूरा देश खड़ा था. भारतीय नौसेना को भी अथाह समुद्र में हर स्थिति से निपटने के लिए हमेशा सतर्क और तैयार रहने का आह्वान किया गया. भौगोलिक परिस्थितियों का लाभ उठाते हुए दुश्मनों ने ऊंचाई पर स्थित तीनों प्रमुख मोर्चों द्रास, करगिल और बटालिक पर कब्जा करने की कोशिश की. उनका प्रारंभिक लक्ष्य नेशनल हाईवे 1-ए था, जो श्रीनगर और लद्दाख को जोड़ने वाली एकमात्र सड़क थी. राजमार्ग और आसपास के शहरों को निशाने पर लेने के लिए पाकिस्तानियों ने टाइगर हिल, टोलोलिंग, मारपोला, माशोको, जुबेर और टर्टुक सहित कई महत्वपूर्ण ठिकानों पर कब्जा जमा लिया था.
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