मसूरी:पहाड़ों की रानी मसूरी में प्रकृति के चितेरे कवि चंद्र कुंवर बर्त्वाल की 73 वीं पुण्यतिथि और जन्मशती मनाई गई. हिंदी काव्य में कुंवर जी का खासा योगदान रहा है. उनकी पुण्यतिथि पर विद्यालयी भाषण प्रतियोगिता और संगोष्ठी का आयोजन भी किया गया. कार्यक्रम में शामिल होने पहुंचे अतिथियों ने कुंवर बर्तवाल की प्रतिमा पर माल्यार्पण कर श्रद्धांजलि अर्पित की.
कवि चंद्र कुंवर बर्त्वाल की 73वीं पुण्यतिथि, कविताओं को संरक्षण करने की मांग उठी - मसूरी न्यूज
मसूरी में कवि चंद्र कुंवर बर्त्वाल जी की 73वीं पुण्यतिथि मनाई गई. इस मौके पर अतिथियों ने उनकी प्रतिमा पर माल्यार्पण कर उन्हें श्रद्धांजलि दी. इस दौरान कार्यक्रम में भाषण, कविता और संगोष्ठी का आयोजन किया गया.
कार्यक्रम की शुरुआत विधानसभा अध्यक्ष प्रेमचंद अग्रवाल, पूर्व काबीना मंत्री प्रीतम पंवार, पालिकाध्यक्ष अनुज गुप्ता और पूर्व पालिकाध्यक्ष ओपी उनियाल ने संयुक्त रूप से दीप प्रज्वलित कर की. इस मौके पर उपस्थित वक्ताओं ने बताया कि कवि कवि चंद्र कुंवर बर्त्वाल ने महज 28 साल की उम्र से ही कविताएं लिखनी शुरू कर दी थी. कवि चंद्र कुंवर बर्त्वाल की तुलना पश्चिम के जॉन कीट्स विलियम वॉट्सवर्थ से भी की जा सकती है.
वहीं, कवि चंद्र कुंवर बर्त्वाल शोध संस्था के अध्यक्ष शूरवीर भंडारी का कहा कि सरकार द्वारा उनकी रचनाओं को कॉलेज स्तर के साथ प्राइमरी, बेसिक और प्राथमिक स्कूलों के पाठ्यक्रमों में भी शामिल किया जाना चाहिए, ताकि आने वाली पीढ़ी उनके बारे में जान सके. भंडारी ने आगे कहा कि उनकी कई ऐसी काव्य और रचनाएं हैं, जिसे सरकार द्वारा संरक्षित किए जाने की जरूरत है.