देहरादून: CDS बिपिन रावत की आज तमिलनाडु में विमान दुर्घटना में मौत हो गई है. ये हादसा तमिलनाडु के कोयंबटूर और सुलूर के बीच कुन्नूर में हुआ. दुर्घटनाग्रस्त वायुसेना के एमआई17-वी5 हेलिकॉप्टर में चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ (CDS) जनरल बिपिन रावत, उनकी पत्नी मधुलिका रावत और उनके साथी सवार थे. इस हादसे से देश को एक बड़ा झटका लगा है. CDS बिपिन रावत देश के पहले चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ थे. 1 जनवरी 2020 को इस पद पर उनकी नियुक्ति हुई थी. इससे पहले रावत 27वें थल सेनाध्यक्ष (Chief of Army Staff) थे. 2016 में वो आर्मी चीफ बने थे. आइए बिपिन रावत के बारे में कुछ बड़ी बातें जानते हैं.
दीक्षांत समारोह में उत्तराखंड से जुड़ाव की कही बात:CDS बिपिन रावत का उत्तराखंड के बहुत लगाव था. उनके जड़ें उत्तराखंड की मिट्टी से जुड़ी हुई थी. CDS बिपिन रावत धाती-माटी के लाल थे, यही कारण था कि वे उत्तराखंड को प्राथमिकता देते थे. वे गांव में पूजा हो या फिर कोई अन्य कार्यक्रम लगभग सभी में बढ़ चढ़कर हिस्सा लेते थे. CDS बिपिन रावत को जब भी उत्तराखंड आने का मौका मिलता था वे इसे छोड़ते नहीं थे. पिछली एक दिसंबर को CDS बिपिन रावत गढ़वाल केंद्रीय विश्वविद्यालय के नौंवे दीक्षांत समारोह में शामिल हुए थे.
यहां CDS बिपिन रावत ने अपने संबोधन की शुरुआत ही उत्तराखंड के लगाव से जुड़ी बातों से शुरू की. इसके साथ ही वे उत्तराखंड में पलायन और मेडिकल सुविधाओं को लेकर भी मुखर रहते थे. वे सैन्य माध्यमों के जरिये दूरस्थ पहाड़ी क्षेत्रों में चिकित्सा सुविधा पहुंचाना चाहते थे. उत्तराखंड के सीमावर्ती क्षेत्रों में खाली होते गांवों को लेकर भी वे खासे चिंतित दिखाई दिखाई देते थे. हाल ही में उन्होंने सीमावर्ती क्षेत्रों में सुविधाएं और संसाधन जुटाकर आबादी बसाने की बात कही थी.
उत्तराखंड से ताल्लुक रखते थे बिपिन रावत:CDS बिपिन रावत उत्तराखंड के रहने वाले थे. उनका जन्म पौड़ी गढ़वाल में हुआ था. सीडीएस बिपिन रावत पौड़ी, द्वारीखाल ब्लाक के सैंण गांव के मूल निवासी थे. जनरल रावत के घर तक पहुंचने के लिए एक किलोमीटर का पहाड़ी रास्ता पैदल तय करना पड़ता है. जनरल बिपिन रावत का परिवार दशकों पहले देहरादून शिफ्ट हो गया था, लेकिन उन्हें अपने पैतृक गांव सैंण से इतना लगाव था कि वह यहां आते-जाते रहते थे. गांव में उनके चाचा भरत सिंह रावत और उनका परिवार रहता है.
गोरखा राइफल्स हुए नियुक्त:जनरल रावत की पढ़ाई देहरादून से शुरू हुई. उन्होंने कॉन्वेंट ऑफ जीसस एंड मेरी स्कूल से दूसरी कक्षा तक पढ़ाई की है जो लड़कियों का स्कूल है. इसके बाद जरनल बिपिन रावत, सेंट एडवर्ड स्कूल, शिमला और राष्ट्रीय रक्षा अकादमी, खडकसला के पूर्व छात्र रहे. उन्हें दिसंबर 1978 में भारतीय सैन्य अकादमी, देहरादून से ग्यारह गोरखा राइफल्स की पांचवीं बटालियन में नियुक्त किया गया था, जहां उन्हें 'स्वॉर्ड ऑफ ऑनर 'से सम्मानित किया गया. उनके पास आतंकवाद रोधी अभियानों में काम करने का 10 वर्षों का अनुभव था.