देहरादून:कोरोना संक्रमण फैलने के बाद दिल यानी हार्ट के मरीजों की संख्या में भी इजाफा रिकॉर्ड किया गया है. इसमें सबसे ज्यादा परेशानी की बात ये है कि निजी अस्पतालों में सीनियर कार्डियोलॉजिस्ट से इलाज करवाना बेहद खर्चीला होता है. लिहाजा, गरीब परिवारों से जुड़े लोगों को हार्ट से संबंधित बीमारी होने पर अपनी जेब खाली करनी पड़ती है. चिंता की बात ये है कि ऐसे मरीजों के लिए सरकारी अस्पतालों में इलाज कराने का कोई विकल्प भी नहीं है. हालांकि, दून मेडिकल कॉलेज में कुछ समय पहले ही सीनियर कार्डियोलॉजिस्ट की नियुक्ति की गई है, लेकिन कैथ लैब ना होने के कारण दिल की बीमारी से जुड़े इलाज यहां पूरी तरह से नहीं हो पाते थे.
इसी बात को समझते हुए लगातार सीनियर कार्डियोलॉजिस्ट की तरफ से भी शासन और सरकार में कैथ लैब स्थापित करने के प्रयास किए जा रहे थे. इसके अलावा दून मेडिकल कॉलेज के प्राचार्य और शासन में प्रभारी सचिव की तरफ से भी इस पर कोशिशें की गई. जिसके बाद अब दून मेडिकल कॉलेज में कैथ लैब (Cath Lab in Doon Medical College) स्थापित करने के लिए मंजूरी देते हुए 5 करोड़ रुपए की स्वीकृति दी गई है.
उत्तराखंड में दिल के मरीजों (heart patients in uttarakhand) को लेकर आंकड़ों में करीब 15% का इजाफा बताया जा रहा है. दून मेडिकल कॉलेज में ही हर दिन इमरजेंसी में 3 से 4 मरीज पहुंच रहे हैं. इसके अलावा ओपीडी में भी 40 से 50 मरीज वरिष्ठ कार्डियोलॉजिस्ट की सलाह लेने के लिए पहुंच रहे हैं. सीनियर कार्डियोलॉजिस्ट डॉ. अमर उपाध्याय कहते हैं कि मरीजों की संख्या पहले के मुकाबले बढ़ी है, जबकि काफी लंबे समय से दून मेडिकल कॉलेज में कैथ लैब की जरूरत भी महसूस की जा रही है.